करीब 4 किलोमीटर के जिग-जैग में से होकर श्रद्धालु मंदिर परिसर पहुंचे और वहां भी चार कतारों में दर्शन कराए गए। भक्ति का ज्वार इस कदर था कि लगातार चल रही कतारों में आठ घंटे से श्रद्धालुओं की आवक कम नहीं हुई। उधर ग्यारस पर भी आठ लाख से अधिक भक्तों के दर्शन करने का अनुमान है।
बाबा श्याम की खाटू नगरी में चारां ओर खाटूधाम में उमड़ा आस्था और श्रद्धा का सैलाब उमड़ा रहा है। रींगस से खाटू तक लखदातार की महज एक झलक पाने के लिए बेताब भक्तों का रैला लगा हुआ है। श्रद्धा और भक्ति इतनी कि कई किलोमीटर लम्बी कतार में पांच से छह घंटे तक पैदल चलने के बाद भी बाबा श्याम के दर्शन को हर कोई बेताब हैं।
श्याम मंदिर की झलक दिखते ही भक्त के पैरों के छाले और थकान चंद मिनट में दूर हो जाती है। खाटूश्यामजी के लक्खी मेले में शनिवार दशमी के दिन करीब पांच लाख से अधिक भक्तों ने बाबा श्याम के दरबार में शीश नवाया।
भारत वर्ष की संस्कृति का समावेश खाटूधाम में
आस्था का केन्द्र बने राजस्थान की धार्मिक नगरी खाटूश्यामजी में दर्शनार्थियों का आगमन तेजी से बढ़ता जा रहा है। श्याम भक्त अपने कुलदेव, आराध्यदेव कलियुग अवतारी श्याम बाबा के दर्शनों के लिए भारत के अलग-अलग प्रान्तों से अलग-अलग पहनावे के साथ आने लग गए हंै।
मानों पूरे भारत वर्ष की संस्कृति का समावेश खाटूधाम में हो गया है। ऐसा लगता है मानों यह श्री श्याम बाबा का ही परिवार है। अलग-अलग वेशभूषा व भाषा भी एक दूसरे में अंतर पैदा नहीं कर पा रही है।
खाटू मेला 2018 : लगेगा छप्पन भोग
खाटू मेला 2018 में एकादशी के दिन बाबा श्याम के विशेष श्रृंगार के साथ 56 भोग का भोग लगेगा । 56 भोग तैयार करने के लिए कारीगर राजस्थान से बाहर से बुलाए गए हंै। कारीगर बाबा के छप्पन भोग के लिए पिछले तीन दिन से तैयारी में जुटे हैं।
बारस को चढ़ेगा सूरजगढ़ का निशान
श्री श्याम मेले 2018 के समापन अवसर पर द्वादशी को हर वर्ष की भांती इस बार भी सूरजगढ़ का श्याम निशान अर्पित किया जाएगा। श्री श्याम दरबार सूरजगढ़ के हजारीमल इंदौरियां ने बताया कि श्याम दरबार में उनका 369 वां श्याम निशान चढ़ेगा। उनकी इस यात्रा में सूरजगढ़ सहित आसपास के दर्जनों गांवों से तकरीबन दस हजार भक्त शामिल होते है।
PHotos Of Lakhi Khatu Shyam Ji phalgun Mela 2018
संघ के साथ श्रद्धालु सिर पर सिगड़ी में बाबा की जोत लेकर चलते हैं। और यह श्याम प्रभू का चमत्कार ही मानों की आंधी और या तूफान आने के बाद भी बाबा की जोत बिना छतरी के निरंतर जलती रहती है। उल्लेखनीय है कि निशान श्याम मंदिर के शिखर पर वर्ष भर लहराता है।