खिलाडिय़ों का आरोप है कि कांग्रेस सरकार ने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए मंत्रालय से सम्बद्ध कई खेल संगठनों के खिलाडिय़ों को नॉन ओलम्पिक श्रेणी में शामिल कर नौकरियों से बाहर कर दिया। खिलाडिय़ों की पीड़ा है कि प्रदेश के लिए पदक जीतने के बाद भी यदि नौकरी नहीं मिलती है तो फिर खेलने से क्या फायदा…। जबकि हरियाणा-पंजाब सहित कई राज्यों में दो फीसदी के खेल कोटे में पदक जीतते ही नौकरी की गारंटी मिल रही है।
सिर्फ ओलम्पिक संघ से सम्बद्ध खेलों को तरहीज वर्ष 2022 में कार्मिक विभाग ने सरकारी भर्तियों में दो फीसदी खेल कोटे के आरक्षण के नियमों में अचानक बदलाव कर दिया था। इससे पहले राजस्थान में भी खेल मंत्रालय व ओलम्पिक संघ से सम्बद्ध खेलों के खिलाडिय़ों को दो फीसदी आरक्षण का फायदा मिल रहा था। लेकिन तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के दौरान सरकार ने सिर्फ ओलम्पिक खेलों से जुड़े खिलाडिय़ों को ही इस दायरे में लाने का फरमान जारी किया।
खिलाड़ियों ने बताई पीड़ा
खिलाड़ी सरिता कुमारी ने बताया कि राजस्थान में 2022 से पहले तक सभी भर्तियों में दो फीसदी आरक्षण मिल रहा था। लेकिन पिछली सरकार ने अचानक नियम बदल दिए। इस वजह से कई भर्तियों में खेल कोटे में चयनित होने के बाद भी नौकरी नहीं मिली। ग्राम विकास अधिकारी, शिक्षक, चिकित्सा, महिला एवं बाल विकास सहित कई भर्तियों में छह हजार खिलाड़ी मंत्रालय से सम्बद्ध खेलों से जुड़े होने के बाद भी बाहर हो गए। खेल कोटे से आवेदन करने वाले नरेन्द्र सहारण ने बताया कि इस साल एक लाख से अधिक पदों पर भर्तियां होनी है। मौका नहीं मिला तो ओवरएज हो जाएंगे।
इसका नतीजा… खेलों की तैयारी छोड़ पढ़ाई पर फोकस मंत्रालय से सम्बद्ध खेल संगठनों के खिलाड़ी नौकरी नहीं मिलने की वजह से अब खेलों से दूर होने पर मजबूर है। चूरू, झुंझुनूं, सीकर, जोधपुर, अजमेर, भरतपुर व कोटा सहित कई जिलों के पदक विजेता खिलाडिय़ों ने बताया कि पिछली सरकार को कई समस्या बताई, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। ऐसे में अब खेलों की तैयारी छोडक़र पढ़ाई पर फोकस शुरू कर दिया है।
ये है एक्सपर्ट की राय सेवानिवृत्त खेल अधिकारी करण सिंह शेखावत इस मामले पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा,” जिन खेलों को खेल मंत्रालय ने मान्यता दे रखी है उन खेलों के खिलाडिय़ों को राजस्थान सरकार को भी मान्यता देनी चाहिए। पड़ोसी राज्य खेल मंत्रालय से सम्बद्ध खेलों को बढ़ावा दे रहे है तो राजस्थान में क्यों नहीं। एक तरफ सरकार खेलों को बढ़ावा देने का दावा कर रही है दूसरी तरफ इस तरह की विसंगति से युवा मजबूरी में खेलों से दूर रहे हैं।”