जानकारी के अनुसार जिले में कई ऐसे बूथ रहे। जहां मुर्दा व्यक्ति के नाम से भी वोट डाले गए हैं। पत्रिका पड़ताल में सामने आया है कि बूथ एजेंट ने मिलकर कुछ ऐसे वोट डलवाए हैं। जहां मतदाता को मरे अरसा हो गया और उसके नाम से फिर भी वोट पड़ गए।
केस संख्या-1
किशनलाल पुत्र सोहनलाल की मौत एक साल पहले सडक़ दुर्घटना में हो चुकी है। लेकिन, उसका मत फिर भी डाला गया है। जबकि परिजनों का कहना है कि उनके पास उनके नाम की पर्ची आई थी। लेकिन, समर्थकों ने उनके नाम की पर्ची खुद रख ली थी। इसका उपयोग क्या किया इसकी जानकारी उनके पास भी नहीं है।
केस संख्या-2
शहर के छत्रपाल सिंह पिता छगनलाल की मौत भी बीमारी के कारण तीन साल पहले हो चुकी है। लेकिन, पोलिंग बूथ में बैठे एजेंट के अनुसार मतदाता सूची में उनका नाम शामिल होने के कारण वोट डाला गया है। जिसकी पुष्टि पोलिंग एजेंट खुद के द्वारा की गई है।
केस संख्या-3
छोटूराम पुत्र कानाराम की मौत दो साल पहले बीमारी से हो गई है। लेकिन, बावजूद इसके उनका वोट डाला गया है। जिसकी सूचना परिवार वालों के पास भी नहीं है। जबकि छोटूराम के भाई सोहनलाल का कहना है कि पार्टी के मजबूत बहूमत के लिए किसी ने मतदान में गड़बड़ी की है। जिसकी सूचना खुद परिवार वालों को भी तब लगी। जब उन्होंने मतदाता सूची में उनके नाम के आगे मतदान करने का टिक लगा हुआ देखा।
फर्जी मतदान की सूचना की शिकायत लिखित में नहीं आई है। फिर भी यदि मृतक के नाम पर किसी ने गलत वोट डाला है तो उसकी जांच की जाएगी। दोष साबित होने पर संबंधित बीएलओ व पोलिंग बूथ एजेंट से भी जानकारी प्राप्त की जाएगी।
-नरेश ठकराल, जिला कलक्टर व निर्वाचन अधिकारी सीकर