खाटू में एमपी, यूपी सहित कई जिलों के बालश्रमिक खाटूश्यामजी और अजमेर दरगाह, पुष्कर मेले के दौरान व अन्य दिनों में जगह-जगह बच्चे भिक्षावृत्ति करने के लिए अपने परिवार के साथ यहां आते रहते हैं। मेले के दौरान हजारों परिवार अपने बच्चों को भिक्षावृत्ति के लिए लेकर आते हैं। इनमें से ज्यादातर परिवार मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान के भरतपुर, अलवर, दौसा सहित अन्य जिलों से ज्यादा बच्चे आ रहे हैं। बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करवाकर बच्चे को पुर्नवास के लिए शिक्षा से जोड़ा जाना बहुत जरूरी है।
कपास चुगने सहित कई उद्योग में हो रहा बालश्रम चाईल्डलाइन के अनुसार बालश्रम छोटे कम आमदनी वाले क्षेत्रों में होता है। बीटी कॉटन कपास चुगने के लिए बांसवाड़ा, डूंगरपुर व उदयपुर की कई तहसीलों से हजारों बच्चे गुजरात व आसपास के क्षेत्रों में ले जाए जाते हैं। वहीं चाय, मिठाई की दुकान, चूड़ी उद्याेग, बीड़ी उद्योग सहित कई क्षेत्रों में बच्चों से बालश्रम कराया जा रहा है। वहीं सीकर में प्याज की पौध लगाने व खुदाई के लिए भी बालश्रमिक आते हैं। 7 साल से लेकर 17 साल तक के बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाते हैं।
चाइल्डलाइन भी बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करवा रही चाइल्डलाइन देखरेख एवं संरक्षण के जरूरतमंद बच्चों के लिए एक राष्ट्रीय, 24 घंटों के लिए, मुफ्त, आपातकालीन फोन आउटरीच सेवा है।। चाइल्डलाइन राज्य सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, सहायक प्रणालियों और कॉरपोरेट सेक्टर के साथ भागीदारी में भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की परियोजना है।
एक्सपर्ट व्यू परिवार से समझाइश करके और काउंसलिंग करके बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की कवायद लगातार की जा रही है। जहां भी हम बाल श्रम देखते है उसकी चाइल्ड लाइन, मानव तस्करी यूनिट आदि को सूचना देकर कार्रवाई करा सकते है। वहीं ऐसे परिवारों को किसी भी रोजगार से जोड़कर बच्चों को भी स्कूल भिजवाने की पहल करनी होगी। वहीं बालश्रम अपराध की श्रेणी में आ गया है जिस पर पूर्णतया रोक लगाने के लगातार प्रयास किए जा रहे है।
बिहारी लाल बालान, सदस्य, बाल कल्याण समिति 95 फीसदी बच्चों को चूड़ी कारखानों से मुक्त करायाएक अप्रेल 2022 से लेकर 31 मार्च 2023 तक 240 बच्चाें को बालश्रम से मुक्त करवाया गया। रेसक्यू के बाद सेल्टर होम भेजा गया। इसके साथ ही 47 आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज कराए हैं। वहीं 37 बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराया है। इसमें 95 प्रतिशत बच्चे चूड़ी कारखानों से मुक्त करवाए हैं और ज्यादातर बच्चे बिहार के हैं।
सुमनसिंह शेखावत, कोर्डिनेटर, चाइल्डलाइन