आर्थिक हालातों व घोषणा पत्र का हवाला
प्रदर्शनकारी पंचायत सहायकों ने नियमितीकरण व मानदेय वृद्धि के लिए कोरोना काल व राज्य सरकार के चुनावी घोषणा पत्र का हवाला दिया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पंचायत सहायक 14 साल से 6 हजार रुपए मासिक मानदेय में काम कर रहे हैं। जिससे गुजर बसर करना बेहद मुश्किल हो गया है। कोरोना काल में तो आर्थिक परेशानी ज्यादा बढ़ गई है। फिर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी पंचायत सहायकों को नियमित करने का वादा किया था। जिसके आधार पर सरकार को वोट भी मिले। लेकिन, सरकार अब वादाखिलाफी कर पंचायत सहायकों के हितों पर कुठाराघात कर रही है।
अखेपुरा टोल बूथ पर किसान संगठनों का धरना जारी
इधर, कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का धरना अखेपुरा टोल पर लगातार जारी है। जिसमें नजदीकी किसान नारेबाजी के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। 9 अगस्त कों जिला मुख्यालय एवं सभी एसडीएम कार्यालयों पर किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा की ओर से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर केन्द्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी भी तेज कर दी है। अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष हरफूलसिंह बाजिया ने बताया कि केन्द्र सरकार के खिलाफ किसान संगठनों की लड़ाई जब तक जारी रहेगी, जब तक तीनों कृषि कानून वापस नही ले लिए जाकर एमएसपी की गारंटी नहीं दी जाती है। उन्होंने कहा कि आजादी से पहले गांधीजी ने नौ अगस्त को अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आन्दोलन का नारा दिया था। अब किसान संगठन नौ अगस्त को जिला मुख्यालय एवं सभी एसडीएम कार्यालयों पर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करेंगे। साथ ही बढ़ती महंगाई, सरकारी संपत्तियों को बेचने की नीति के खिलाफ विरोध जताया जायेगा। इस दिन से आन्दोलन को वापस तेज किया जायेगा। इसको लेकर जिलेभर में किसान संगठनों की ओर से गांव गांव जाकर बैठकें आयोजित कर आमजन और किसान को जागरूक किया जा रहा है।