Narayan Das Maharaj : बचपन में इसलिए छूटा इनका घर, फिर देशभर में यूं बन गए लाखों भक्त
जानकारी के मुताबिक 19 नवंबर को त्रिवेणी धाम में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शंकराचार्य हंसदेवाचार्य ने त्रिवेणी धाम में 17 दिसंबर का भंडारा एवं चादरपोशी की घोषणा की थी। वहीं, श्रद्धालु वहां संत नारायणदास के अंतिम संस्कार स्थल पर परिक्रमा करने पहुंच रहे हैं।
#LIVE नारायण दास महाराज : तड़के 3 बजे से लगी है अंतिम दर्शन के लिए कतार, दोपहर को दाह संस्कार
इधर, श्रीमाधोपुर सहित कई जगह समाजकंटकों द्वारा फर्जी रसीद बुक छपवा कर भंडारे के नाम पर चंदा एकत्रित किया जा रहा है। त्रिवेणीधाम मंदिर प्रबंधन ने इस प्रकार की किसी भी रसीद बुक छपवाने एवं चंदा एकत्र करने से इनकार किया है।
जानिए कौन थे नारायणदास जी महाराज
संत नारायण दास का जन्म वर्ष 1927 में राजस्थान के जयपुर जिले के शाहपुरा तहसील के गांव चिमनपुरा में ब्राह्मण घर में हुआ।
-वर्ष 1972 में राजस्थान के त्रिवेणी धाम में नारायण दास महाराज जी का देवलोकगमन हो गया।
-कहा जाता है नारायण दास जी बचपन में भयंकर बीमारी से पीडि़त थे।
-इस वजह से परिजन इनको गुरु शरण में छोड़ दिया।
-त्रिवेणी धाम के संत भगवान दास महाराज के वर्ष 1972 में देवलोकगमन के बाद नारायण दास की धाम के महंत के रूप में ताजपोशी हुई।
-नारायण दास के श्रद्धालु देशभर में हैं। देवलोकगमन की सूचना पर तडक़े तीन बजे से ही उनके अंतिम दर्शन की कतारें लग गई थीं।
-देशभर के घर-घर में राम नाम लिखने वाली पुस्तकें पहुंचाने का श्रेय भी नारायण दास महाराज को ही जाता है।
-इन्हें पदम् श्री अवार्ड से नवाजा गया था।