प्याज के पाउडर व पेस्ट का उद्योग
शेखावाटी मीठे प्याज के लिए प्रसिद्ध है। यहां के प्याज की मांग विदेशों में भी है। पर पानी की मात्रा ज्यादा होने से यहां के प्याज लंबे समय तक नहीं टिक पाते। ऐसे में किसानों को अक्सर उन्हें लागत से भी कम कीमत में बेचना पड़ता है। यदि शेखावाटी में इस प्याज के पाउडर या पेस्ट बनाने का नया उद्योग स्थापित हो तो किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है। भारत व खाड़ी सहित यूरोपीय देशों तक में प्याज के पाउडर व पेस्ट की मांग खूब बढ़ रही है। इस नए उद्योग से किसानों को प्याज की बेहतर कीमत मिलने के साथ क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ सकते हैं।
बाजरा व उत्पादों का निर्यात
सेहत व स्वाद के लिहाज से पसंदीदा बने मोटे अनाज की मांग विश्वभर में बढ़ रही है। 2023 को यूएनओ ने मिलेट्स ईयर भी घोषित किया है। मोटे अनाज में शेखावाटी देशभर का छह फीसदी से ज्यादा बाजरा उत्पादन करता है। इसके प्रसंस्करण उद्योग भी किसानों को बड़़ा फायदा पहुंचा सकते हैं।
फ्लोराइड के पानी से खेती
शेखावाटी में फ्लोराइड युक्त पानी बड़ी परेशानी बनता जा रहा है। यह चूरू तथा सीकर के लक्ष्मणगढ़ व फतेहपुर सहित कई इलाकों में खेती चौपट कर रहा है। आईएसडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक कृषि वैज्ञानिक इस संबंध में खारे पानी से पैदा होने वाली चावल की किस्म आईआर-64 इंडिका प्रजाति में जंगली किस्म पोर्टरेशिया कारक्टाटा के जींस डालकर तैयार कर चुके हैं। यह 200 माइक्रोमोल प्रति लीटर तक खारापन सह सकती है। अंचल में इस संबंध में शोध को बढ़ावा देकर खारे पानी से चना, सरसों आदि फसलें तैयार कर क्षेत्र का कायाकल्प किया जा सकता है। खारे पानी में मछली पालन भी बेहतर विकल्प है।
सरकार की भी मंशा
केंद्र सरकार का जोर भी अभी खाद्य प्रसंस्करणों पर है। हाल में वल्र्ड फूड इंडिया के उद्घाटन समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में विकास से देश की अर्थव्यवस्था को दिशा देने की बात कही है। जी-20 समूह ने भी दिल्ली घोषणा-पत्र में दीर्घकालिक कृषि, खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा पर जोर दिया है।
एक्सपर्ट व्यू:
शेखावाटी मीठे प्याज और बाजरे का गढ़ है। देशभर का छह फीसदी से ज्यादा बाजरा शेखावाटी में होता है। यहां गांवो में स्टोरेज के साथ प्याज, जौ व बाजरे के उत्पादों का नया उद्योग विकसित किया जा सकता है। खेत आधारित शोध, समन्वित खेती, बारानी खेती को बढ़ावा देने सरीखे प्रमुख मुद्दे शेखावाटी मेें प्रमुख मुद्दे होने चाहिए।
– डॉ. हनुमान प्रसाद, पूर्व निदेशक प्रसार शिक्षा, कृषि विवि, बीकानेर व पूर्व सदस्य किसान आयोग
नहरी पानी की उदासी भी हो दूर
हमारे यहां ‘जल जठै जगदीश‘ की कहावत है। अंचल में कुंभाराम लिफ्ट योजना व यमुना के पानी का दशकों पुराना इंतजार अब तक पूरा नहीं हुआ है। 1994 में पांच राज्यों के समझौते और 2001 में केंद्रीय जल आयोग के झुंझुनूं व चूरू को 1917 क्यूसेक पानी देने की सहमति के बावजूद मामला हरियाणा की स्वीकृति में अटका हुआ है। वहीं, कुंभाराम लिफ्ट योजना के लिए इस साल केंद्र सरकार ने 7934 करोड़ का बजट जारी किया है। इसके तहत फतेहपुर व लक्ष्मणगढ़ को छोड़ सीकर व झुंझुनूं के 1133 गांवों को पानी मिलना है। पर अब तक इसका काम भी धरातल पर नहीं आया है। पेयजल व सिंचाई की दोनों योजनाओं का पानी जल्द मिलना चाहिए।
दयाराम महरिया, अध्यक्ष, सुजला शेखावाटी समिति