दुश्मन पर बोला धावा
एक जून को पूरी चार्ली कम्पनी तोलोलिंग पहाड़ी के दुर्गम रास्ते की ओर से चढ़ने लगी। चोटी पर बैठे आतंकियों की गोलीबारी से बचते बचाते 14 घंटे की मशक्कत के बाद हम तोलोलिंग की पहाड़ी पर चढ़कर दुश्मन पर धावा बोल दिया, जिसमें दुश्मन की 5 गोलियां मुझे छू गई। इस बीच मैंने वहां बने 11 बंकर में से पहला व अंतिम बंकर उड़ाने की जिम्मेदारी ली। दुर्गम घाटी, बर्फीली हवाओं, काले घने अंधेरे, दहला देने वाले विस्फोट और लगातार होती गोलाबारी के बीच चट्टान में कीलों पर लगी रस्सी के सहारे हम पहाड़ी पर चढ़ने लगे। यह भी पढ़ें – Kargil Vijay Diwas 2024: जब 64 दिन तक बर्फ में दबे भारतीय शूरवीर की होती रही तलाश, पत्नी ने भी शव मिलने तक निभाया वचन दुश्मन की मौजूदगी भांप मैंने हटाई बैरल
रेंगते हुए अनजाने में दुश्मन की मशीनगन तक पहुंचने पर मेरा हाथ बैरल पर पड़ा तो वह गोलीबारी से काफी गर्म हुई दिखी। दुश्मन की मौजूदगी भांप मैंने बैरल हटाई और कुछ ही क्षणों में बंकर में हैंड ग्रेनेड सरका दिया। विस्फोट हुआ तो अंदर से चीत्कारों की आवाजें आने लगी। पहला बंकर जल चुका था। पर तब तक हमारे सैनिकों सहित मैं जख्मी हो गया था।
11 बंकरों में 18 ग्रेनेड फेंके
शरीर पर तीन गोलियां लगने के साथ पैर बुरी तरह जख्मी था। पीछे देखा सूबेदार भंवरलाल, भाकर, लांस नायक जसवीर सिंह, नायक, सुरेन्द्र और नायक चमन सिंह अंतिम सांसें ले चुके थे। लांस नायक बच्चन सिंह ने पिस्तौल दी, हवलदार सुल्तान सिंह नरवर ने ग्रेनेड दिया। मेजर विवेक गुप्ता ने बहादुरी से दुश्मन का सामना किया, लेकिन जैसे ही उन्होंने पत्थरों का सहारा लिया, उनके सिर में गोली लग गई। राठौड़ ने अपनी पिस्तौल और गोला बारूद देकर प्राण त्याग दिए। हिम्मत करके 11 बंकरों में मैंने 18 ग्रेनेड फेंक दिए। महावीर चक्र मिलना गर्व का पल था
तभी
पाकिस्तानी मेजर अनवर खान अचानक सामने आने पर मैं उस पर कूद पड़ा। काफी देर की गुत्थम गुत्थी के बाद मैंने सायनायड चाकू से उसकी गर्दन काटकर भारत माता का जयकारा लगाया। फिर पहाड़ी की चोटी पर लड़खडाता हुआ उपर चढ़ते हुए सुबह चार बजे तिरंगा झंडा फहरा दिया। युद्ध के बाद राष्ट्रपति डॉ. केआर नारायणन द्वारा महावीर चक्र से नवाजा जाना भी गर्व का पल था। 2005 मे मैं सेवानिवृत हो गया।