निजी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षक भी सरकारी स्कूल के शिक्षक की तरह ही काम के प्रति जिम्मेदार होते हैं। अगर गलती करते हैं, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। योग्यता के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए। सरकारी व निजी दोनों में अच्छे शिक्षक हैं। योग्यता व अनुभव के आधार पर एक मापदंड होना चाहिए।
सरकारी शिक्षकों की पर्याप्त संख्या होने के बाद भी निजी स्कूल शिक्षकों को परीक्षक बनाना सरकार का सही फैसला नहीं है। यदि सरकार को उन पर इतना ही विश्वास है, तो उन्हें चुनाव ,जनगणना और अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों में भी लगाया जावे। हमारा संगठन सरकार से मांग करता है कि फैसले पर पुनर्विचार कर बोर्ड की साख को बनाये रखें।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा बोर्ड परीक्षा में निजी परीक्षकों को नियुक्त करने से परीक्षा की गोपनीयता और विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आ जाएगी। सरकार को इस निर्णय पर पुन: विचार करना चाहिए। अगर यह करना ही है तो निजी के साथ एक सरकारी परीक्षक लगना चाहिए।
राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) निजी विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की बोर्ड परीक्षाओं में ड्यूटी लगाने के सरकार के निर्णय को शोषण करने वाला आदेश मानता है। यदि सरकार उनसे सरकारी कार्य करवाती है, तो उस अवधि का पुरा वेतन व अन्य सुविधाएं भी उन्हें सरकार को ही देनी चाहिए। इसकी बजाए सरकार को उन्हे सुविधाएं देनी चाहिए।