जिले में डेढ़ दर्जन से अधिक गौ-शाला
जिले में डेढ़ दर्जन से अधिक गौ-शालाएं हैं, लेकिन लगभग सभी की स्थिति एक जैसी है। सूत्रों की मानें तो गौ शाला में मवेशियों की दर्ज संख्या तो ज्यादा होती है, लेकिन वास्तविकता में मवेशियों की उपस्थिति कम होती है।
अतिक्रमण नहीं हटा सके जिम्मेदार
गौ शालाओं में मवेशियों को चारा के लिए गौ शालाओं के साथ ही चारागाह के लिए भूमि भी उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन ज्यादातर गौ शालाओं की भूमि अतिक्रमण की चपेट में थी, जिसे आज तक जिम्मेदारों द्वारा अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा सका है। चारागाह के लिए चिन्हित भूमि में अतिक्रमण होने से आज तक वहां चारागाह विकसित नहीं किया जा सका है।
रिकॉर्ड में स्व सहायता समूह कर रहे संचालन
गौ शालाओं के संचालन की जिम्मेदारी महिला स्व-सहायता समूहों को दिये जाने के निर्देश थे। शासन के उक्त निर्देश के परिपालन में जिले में भी गौ शालाओं के संचालन की जिम्मेदारी कागजी रिकार्ड में तो महिला स्व सहायता समूहों को ही दी गई है, लेकिन वास्तव में संचालन कोई और ही कर रहा है। महिला स्व-समूह की महिलाएं को साफ-सफाई सहित देखभाल की जिम्मेदारी दी गई है।
शिवसेना लगातार चला रही अभियान
गौशालाओं की बदहाली को लेकर शिवसेना जिला इकाई लगातार अभियान चला रही है। शिवसैनिकों ने सभी गौशालाओं का स्थल निरीक्षण करते हुए व्यवस्थाओं का जायजा लेकन वहां व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर ज्ञापन के माध्यम से कलेक्टर से भी अवगत कराते हुए व्यवस्थाएं दुरुस्त किए जाने की मांग की जा चुकी है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।