इस पुराने भवन के रहते निगम ने नया कार्यालय भवन बनवा लिया। अब जिला स्तर पर बीएसएनएल में महज 13 कर्मचारी कार्यरत हैं जबकि इस कार्यालय में 50 से ज्यादा कमरे हैं। उन कमरों का कोई ऑफिशियल पर्पज भी नहीं। इसका फायदा उठाते हुए यहां के कर्मचारियों ने इन कमरों को ही अपना आवास बना लिया है। अब ये भी कहा जा सकता है कि ये कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। लेकिन इससे राजस्व का नुकसान तो हो ही रहा है, क्योंकि बिजली- पानी सहित अन्य जरूरतें शासन के बजट से पूर्ण हो रही है।
बीएसएनएल कार्यालय में सबसे ज्यादा बिजली की बिल आता है। यहां प्रति माह तकरीबन डेढ़ लाख का बिजली बिल आता है। इसका भुगतान शासन स्तर से किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कार्यों पर भी थोक में खर्च हो रहा है। यदि इस कार्यालय के कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम कर दिया जाए तो वर्ष करोड़ो की बजत हो सकती है, जिससे घाटे में चल रहे बीएसएनएल को फायदे में लाया जा सकता है।
ग्रुप ए-01
ग्रुप बी-06
ग्रुप सी- 05
ग्रुप डी-01
कुल 13