उल्लेखनीय है कि रविवार को करौंदी निवासी बालचंद्र लोधी उम्र 40 साल को पेट दर्द की शिकायत के बाद जिला अस्पताल भर्ती कराया गया था। मंगलवार को इलाज के दौरान अल सुबह उसकी मौत हो गई। मौत के बाद उसके पलंग पर कोई परिजन नहीं था, इस कारण बालचंद्र की लाश पलंग पर ही पड़ी रही। इस दौरान उसकी आंखों व शरीर पर चिटिंयां लग गईं। अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉ दिनेश राजपूत सहित स्टाफ नर्स रेवती, अर्चना व प्रियंका ने भी मरीज को देखा परंतु उसको शिफ्ट कराने संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की।
इस कारण लाश करीब पांच घंटे तक वार्ड में ही पड़ी रही। यह मामला जब मीडिया में सुर्खियां बना तो प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कलेक्टर अनुग्रहा पी को निर्देश दिया कि मामले की जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो। कलेक्टर ने एडीएम आरएस वालोदिया,एसडीएम पोहरी मुकेश सिंह को मामले की जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने मरीजों व डॉक्टर, नर्सेस के बयान लेकर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस मामले में कमिश्नर ने सिविल सर्जन डॉ पीके खरे, ड्यूटी डॉ दिनेश राजपूत व नर्स रेवती, अर्चना तथा प्रियंका को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
यह है पूरा मामला
लोधी की पत्नी रामश्री बाई ने रोते हुए बताया कि मेरे बच्चे छोटे हैं इसी वजह से मैं सोमवार शाम सात बजे घर चली गई थी। मंगलवार सुबह साढ़े दस बजे मुझे पास के मरीज ने फोन करके बताया कि आपके पति की मौत हो गई है। अस्पताल पहुंची तो बेड पर उनका शव पड़ा था। उनकी आंखों और चेहरे पर चीटियां लगी हुई थीं। ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और नर्स के अंदर इतनी भी मानवीयता नहीं थी कि वे शव को ढंक देते। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर लिखा कि यह मामला काफी संवेदनशील है। शिवपुरी में जिला अस्पताल में एक मरीज की मौत होने पर उसके शव पर चींटियां चलने व इस घटना पर बरती गई लापरवाही की घटना बेहद असंवेदनशीलता की परियाचक।
यह पूरा मामला उजागर होने के बाद बुधवार की सुबह अचानक से सिविल सर्जन डॉ पीके खरे की तबीयत बिगड़ गई, उनका बीपी डाउन हो गया। सिविल सर्जन को इलाज के लिए जिला अस्पताल भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उनका चेकअप किया। सिविल सर्जन का ब्लड प्रशन 50 व 89 तक थम गया। डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बाबजूद जब उनके बीपी में कोई सुधार नहीं हुआ तो उन्हें इलाज के लिए ग्वालियर रैफर किया गया है।
अस्पताल प्रबंधन किस कदर लापरवाह है, इसकी बानगी इस बात से मिलती है कि न सिर्फ स्टाफ को मरीजों ने सूचना दी, बल्कि 11 बजे तक जब कोई मृतक बालचंद की सुध नहीं लेने आया तो मरीजों ने ही उसकी पत्नी रामश्री लोधी को बुलाया गया।
जैसे ही रामश्री सूचना मिलने के बाद अस्पताल आई वह फूट-फूट कर रोने लगी। उसने अपने पति की आंख पर चीटियां देखी तो अवाक रह गई। मौके पर मौजूद मरीजों के मुताबिक ऐसे में रामश्री ने ही पल्लू से चीटियां आंख से हटाईं। बाद में अपने पति के शव को जैसे-तैसे मरीजों के सहयोग से ही अस्पताल से लेकर गई।
जिला अस्पताल में एक दो नहीं बल्कि कई शर्मशार करने वाली घटनाएं सामने आई हैं। करीब एक साल पहले जिला अस्पताल में चूहों ने एक न नवजात की अंगुली काट ली थी। इसके बाद इस मामले ने तूल पकडा तो उसके बाद जिला अस्पताल में चूहें पकडऩे का अभियान चलाया था, लेकिन अब भी जिला अस्पताल में चूहे मरीजों बीच धमाचौकड़ी मचाते हुए देखे जा सकते हैं।