Patrika Exclusive : थाने पर शव रखने या राजनैतिक दबाव में पुलिस दर्ज कर रही मामले, बाद में शुन्य करनी पड़ती है FIR
Patrika Exclusive : बदरवास के विभिन्न अपराधों पर जिन धाराओं में जो मामले दर्ज हुए और बाद में ये मामले जांच पड़ताल के बाद सिद्ध न होने पर एफआर लगकर शून्य हो जाती हैं।
संजीव जाट की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट, बदरवासPatrika Exclusive : मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के अंतर्गत आने वाले बदरवास के विभिन्न अपराधों पर जिन धाराओं में जो मामले दर्ज हुए और बाद में ये मामले जांच पड़ताल के बाद सिद्ध न होने पर एफआर लगकर शून्य हो जाती हैं। अब जो घटनाक्रम घटित होते हैं और अपराध कायम होते हैं ये मामले राजनैतिक या फिर थाने पर प्रदर्शन से दवाब बनाकर तो दर्ज नहीं हो रहे।
बदरवास पुलिस थाने में कुछ समय से लड़ाई, बलात्कार, हत्या, अपहरण जैसे कई मामले दर्ज हुए हैं। इन मामलों में थाने पर प्रदर्शन करके, राजनैतिक प्रतिद्वंदिता या शव को रखकर जाम लगाने सहित बगैर इन्वेस्टिकेशन के पुलिस पर दबाव बनाकर एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन बाद में जब घटना की जांच पड़ताल की गई तो दर्ज एफआईआर शून्य कर मामले में एफआर लगी हैं।
जिले के बदरवास थाने में विगत 2 साल में ऐसे 6 मामले सामने आए हैं, जिनमें एफआईआर दर्ज हुई है, जिनमें हत्या या हत्या का प्रयास या बलात्कार जैसे मामले शामिल है जो जांच में प्रमाणित नहीं होने के कारण उक्त एफआईआर शून्य हुई है। ऐसे घटनाक्रम पूरे ग्वालियर चंबल संभाग में विशेष तौर पर बदरवास थाने में सामने आए है।
अपराध क्रमांक 394/22 , घटना बदरवास थाना क्षेत्र के ग्राम रेंझा गढ़ के जंगल में कल्ला पुत्र रामसिंह यादव पेड़ पर लटका हुआ मिला था। इसके बाद परिजन द्वारा डेड बॉडी थाना परिसर में रखकर प्रदर्शन किया गया। तब पुलिस के द्वारा पांच लोगों के विरुद्ध 302/34 आईपीसी के तहत हत्या का मामला पुलिस को दर्ज करना पड़ा।
जांच में ये हुआ
पीएम रिपोर्ट में डॉक्टर्स द्वारा No External Injury Seen Over The Body लेख कर मृत्यु का कारण Mode of Death is Asphyxia, Cause Asphyxia due to Hanging and Nature of Death Suicidal होना स्पष्ट रूप से लेख किया गया। मृतक की विसरा एफएसएल ग्वालियर परीक्षण हेतु भेजा गया था। जिसकी जांच रिपोर्ट में कुछ नहीं पाया गया। प्रकरण के दौरान विवेचना आरोपी गणों के विरूद्ध अभियोजन साक्ष्य और तकनीकी व इलेक्ट्रानिक तथा भौतिक साक्ष्य से धारा 302, 34 भादवि का अपराध घटित होना प्रमाणित नहीं पाया गया। अतः प्रकरण सदर में साक्ष्य के पर्याप्त अभाव में प्रकरण में खात्मा क्रमांक 33/2023 दिनांक 31.12.2023 पर हुआ।
-दूसरा मामला
मामला ग्राम मड़वासा का है, जहां फरियादी पहलवान कुशवाह द्वारा अपनी पुत्री की कुएं में मृत अवस्था में शव मिला था। इसके बाद इंदार थाना परिसर में शव रखकर प्रदर्शन किया तो पुलिस द्वारा अपराध क्रमांक 233/22 302/201/34 दिनांक 17.20.2023 को मामला 2 लोगों पर दर्ज किया गया, जिसे जांच के बाद धारा 306 में तब्दील किया गया। हत्या करने के कोई साक्ष्य नहीं पाए गए।
-तीसरा मामला
मामला बदरवास थाना इलाके के ग्राम बक्सपुर का है। घटना दिनांक 11.11.2021को फरियादी रामभान यादव द्वारा खुद पर अज्ञात लोगों द्वारा फायर करने का मामला दर्ज कराया गया था, जिसमें अपराध क्रमांक 392/21 धारा 307 के तहत मामला दर्ज हुआ। मामले की जांच के बाद जिन लोगों को इसमें गवाह बनाया गया था, उन्हीं गवाहों ने पुलिस पूछताछ में घटना घटित होने से इंकार कर दिया। ऐसे में इस केस में भी एफआर लगाकर केस खारिज किया गया।
-चौथा मामला
बदरवास नगर में अध्ययनरत छात्र गोलू जाटव 1 अगस्त 2024 को बगैर सूचना के घर से गायब हो गया। इसके बाद परिजन सत्येंद्र जाटव ने बदरवास थाने में करीब तीन दर्जन लोगों के साथ थाने पर पहुंचकर अपराध क्रमांक 247/24 धारा 137(2) अपहरण का मामला दर्ज कराया। घटना के 20 दिन बाद जब गोलू जाटव बदरवास बायपास पर घूमता हुआ मिला। बदरवास पुलिस ने पूछताछ की तो गोलू ने बताया कि वो स्वेच्छा से ट्रक पर घूमने चला गया था। इस मामले में भी जांचके बाद बदरवास पुलिस को केस ख्तम करना पड़ा।
इसके अलावा, साल 2023 और साल 2024 में करीब 35 से ज्यादा 363 के मामले हैं, जिनमें पुलिस द्धारा एफआर लगाकर एफआईआर शून्य की गई हैं।
एक्सपर्ट व्यू
मामले को लेकर शिवपुरी के रिटायर्ड डीएसपी पी.पी मुदगल का कहना है कि, बात सही है- इन दिनों भीड़ तंत्र या राजनीतिक दबाब में कभी-कभी पुलिस को संदिग्ध मामलों में भी हत्या जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज करना पड़ता है। लेकिन पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी चाहे तो ऐसे मामलो में तब तक आरोपी बने व्यक्ति की गिरफ्तारी रोक सकते हैं। जब तक मामले की पूरी विवेचना न हो जाए। विवेचना में अगर मामला झूठा होता है तो केस में खात्मा लग जाता है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश है, इसलिए फरियादी की शिकायत पर पुलिस को कभी-कभी सच पता होने के बाद भी झूठा केस दर्ज करना पड़ता है।
यह बोले जिम्मेंदार
कोलारस एसडीओपी विजय यादव ने बताया कि इस तरह के मामले अति आवेश में आकर पुलिस को अपनी कार्रवाई स्वतंत्र रूप से न करने देते हुए गंभीर धाराओं में मामले दर्ज करा देते हैं, जिसके बाद में पीएम रिपोर्ट और पूर्ण जांच पड़ताल के बाद इन अपराधों का खात्मा होता है या धारा परिवर्तित करनी पड़ती है। पर न्यायालय के आदेश है जिसके फेर में केस दर्ज करना पड़ता है।
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