बता दें कि, जिले के बैराड़ में महिला संतरा जाटव के परिवार के सभी लोगों ने अपना वैक्सीनेशन करा लिया है, लेकिन टीम आते ही संतरा जाटव कोई न कोई बहाना बनाकर वहां से भाग निकलती थी। बुधवार को जब टीम उनके घर पहुंची, तो उनके परिवार के लोगों ने ही उन्हें पकड़ लिया। इस दौरान टीम ने उनसे पूछा कि, आखिर वो किस वजह से वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं, तो इसपर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, किसी ने उन्हें बताया है कि, टीका लगवाने से कुछ साल बाद मौत हो जाएगी। इसी के चलते वो डरी हुई है। हालांकि, घरवालों ने संतरा के हाथ-पैर पकड़कर और मुंह ढंक कर टीका लगवा दिया।
ये स्थिति सिर्फ संतरा जाटव के साथ ही नहीं बनी, शिवपुरी के ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां बनी हुई हैं। यही कारण है कि ग्रामीण अंचल में शहरी क्षेत्र की अपेक्षा कोरोना वैक्सीनेशन पिछड़ा हुआ है। बुधवार को बैराड़ और खनियाधाना में डोर-टू-डोर वैक्सीनेशन टीम को देख ग्रामीण घर छोड़कर ही भाग गए। हालांकि, इन ग्रामीणों के परिजन की ओर से ही उन्हें बमुश्किल पकड़कर टीका लगवाया।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार?
शिवपुरी के जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ संजय ऋषिस्वर के अनुसार, अबतक जितने भी लोगों ने वैक्सीन लगवाने में डर दिखाया है, उनमें बड़ी तादाद महिलाओं की हैं। यानी सबसे अधिक डर महिलाओं में है। इसके पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि, ऐसा इसलिये भी है कि, महिलाएं अगर किसी से भी एक बार कोई बात कर लेती हैं, तो उसी को सच मान बैठती हैं, जबकि पुरुष घरों से बाहर रहने के कारण इसपर अधिक चर्चा करते हैं और जल्दी ही वैक्सीनशन के प्रति जागरूक हो जाते हैं।
सड़क पर लेटाकर हाथ पैर पकड़कर लगाया वैक्सीन
ऐसा ही नजारा जिले के खनियांधाना की गोलाकोट पंचायत की लखनपुरा आदिवासी बस्ती में भी सामने आया। यहां एक बुजुर्ग भी वैक्सीनेशन न करवाने की जिद पर अड़ गया और वहां से भागने लगा, इसपर बुजुरग के ही परिजन और अन्य ग्रामीणों ने पकड़कर बुजुर्ग को जमीन पर लेटाया। इसपर बुजुर्ग के हाथ-पैर पकड़कर लोगों ने सड़क पर ही वैक्सीन लगा दी।