जलकुंभी की शुरुआत जाधव सागर तालाब से हुई थी और यहां से करबला होते हुए चांदपाठा झील तक यह जलकुंभी पहुंच गई। जाधव सागर व करबला के बाद चांदपाठा झील पर छाई जलकुंभी की हरियाली अब भुजरिया तालाब में भी पहुंच गई है। इस तालाब में भी अब पानी की जगह हर तरफ जलकुंभी ही छाई नजर आ रही है।
तालाबों में छाई जलकुंभी का पौधा सबसे अधिक पानी का अवशोषण करता है। जिसकी वजह से यह पौधा पूरी तरह से हरा-भरा होकर पानी में तैरता रहता है। शहर के तालाबों में पूरी तरह से छाई हुई यह जलकुंभी उनका पानी तेजी से सोखकर उसे गर्मियों से पहले सुखा रही है। जाधव सागर तालाब के किनारे तो अभी से नजर आने लगे हैं। यदि यह जलकुंभी इसी तरह छाई रही तो तालाब गर्मियों से पहले सूख जाएंगे।
बीते दिनों हमने एक टीम भोपाल से सर्वे के लिए बुलाई थी, जो चांदपाठा में जलकुंभी की स्थिति देखकर गई है। अब जल्द ही यह टीम अपने संसाधनों के साथ शिवपुरी आएगी तथा झील में छाई जलकुंभी को समूल नष्ट करेगी।
उत्तम कुमार शर्मा, सीसीएफ ङ्क्षसह परियोजना शिवपुरी