पशुपालन विभाग के उपसंचालक डॉक्टर तमोरी के अनुसार, हालांकि, इंसानों को इस बीमारी से घबराने की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि अफ्रीकन स्वाइन फीवर बीमारी सिर्फ सुअरों के लिए ही घातक है। आम लोगों से अपील की गई है कि उनके आस-पास अगर सुअरों की अप्राकृतिक मृत्यु हो तो तत्काल जिला कंट्रोल रूम को इसकी सूचना दें।
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क्या है अफ्रीकन स्वाइन फीवर ?
अफ्रीकन स्वाइन फीवर एएसएफ पालतू और जंगली सुअरों की अत्यधिक संक्रामक बीमारी है, जो गंभीर आर्थिक और उत्पादन हानि के लिए जिम्मेदार है। मौजूदा समय में अफ्रीकन स्वाइन फीवर एएसएफ के लिए कोई इलाज या वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में संक्रमित पशु की किलिंग ही संक्रमण को फैलने से रोकने का एक मात्र विकल्प है।
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क्या है सरकार की व्यवस्था ?
इस बीमारी की रोकथाम के लिए भारत सरकार के नेशनल एक्शन प्लान के अनुसार प्रभावित क्षेत्र की एक किलोमीटर की परिधि को इनफेक्टेड जोन और इसके आस – पास की 9 किलोमीटर की परिधि को सर्विलांस जोन घोषित किया जाता है। इंफेक्टेड जोन में सुअरों को मानवीय तरीके से किलिंग कर बदले में मुआवजा दे दिया जाता है। साथ ही, रोग नियंत्रण के लिए सुअरों के मांस को बेचने और उसके परिवहन पर अगले आदेश तक रोक भी लगाई जाती है।