पत्रिका संवाद्दाता से खास बातचीत के दौरान छोटी उम्र में बड़े महारथी पर्व ने बताया कि क्यूबिक गेम खेलने का शौक उसे मात्र एक साल पहले 6 साल की उम्र में हुआ था। ये गेम सबसे पहले उसने यूट्यूब पर देखा था, जिसके बाद उसने अपने पिता सुनील ओझा से क्यूबिकल क्यूब लाकर देने की मांग की। पिता ने भी बच्चे की ख्वाहिश पूरी की ओर तत्काल उसे क्यूबिकल क्यूब लाकर दे दिया। तभी से वो लगातार इस गेम की प्रेक्टिस करने लगा।
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पर्व का कहना है कि उसने इस गेम को सबसे पहले मिरर में देखकर सॉल्व किया और अब वो इसका इतना बड़ा महारथी हो चुका है कि महज चंद सेकंड में ही आंखों पर पट्टी बांधकर वो किसी भी कलर को मिला देता है। पत्रिका के कैमरे में भी उसके हुनर का डेमो कराया गया। आंखों पर पट्टी बांधने के बाद महज 12 सेकंड के भीतर ही उसने बताए गए लाल रंग को मिलाकर दिखा दिया।
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बदरवास में रहने वाले पर्व के पिता सुनाल ओझा पेशे से वेल्डिंग का कार्य करते हैं। उन्होंने बताया कि इतनी कम उम्र में उनका बेटा बड़ी प्रतिभा का धनी है। पढ़ने लिखने में भी उसका दिमाग काफी तेज है। अपने इसी गेम की महारथ के चलते वो पूरे इलाके में भी काफी फेमस है। उसके इसी हुनर को देखने अकसर लोग उनके घर आते रहते हैं। पिता का सपना है कि उनका बेटा अपने इस खेल को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक ले जाए और उनके शहर, राज्य और देश का नाम रोशन करने में भागीदारी निभाए।