दरअसल, देश में चलने वाली सभी ट्रेनों में केंद्र सरकार ने अनाधिकृत वेंडरों के सामान बेचने पर रोक लगा रखी है। लेकिन फिर भी कमीशन खोरी के चक्कर में रेलवे पुलिस और अधिकारियों की साठ-गांठ से कुछ वेंडर आज भी ट्रेन में सामान बेच रहे हैं। आज जो तस्वीरे हम आप को दिखाने जा रहे हैं। यह तस्वीरें शामली से दिल्ली और दिल्ली से शामली आने जाने वाली ट्रेनों की हैं। आप खुद ही देख लीजिए कि ट्रेनों के अंदर जो वेंडर सामान बेच रहे हैं वह एक पैसेंजर ट्रेन है। यह ट्रेन शामली से दिल्ली की ओर जा रही है। ट्रेन के अंदर हमने के कुछ वेंडरों से बात की। वहीं, एक वेंडर ने जो कहा उसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे। वेंडर ने कहा है कि प्रत्येक वेंडर से प्रतिदिन 150 रुपए ठेकेदार लेता है। फिर चाहे उसमें वेंडर का सामान बिके या ना बिके। लेकिन ठेकेदार को प्रतिदिन के हिसाब से ट्रेन में सामान बेचने के एवज में 150 रुपए देना ही होता है।
वहीं, जनपद सहारनपुर के टपरी व मनानी रेलवे स्टेशन से लेकर जनपद बागपत के बुढ़पुर रेलवे स्टेशन तक ट्रेन में सामान बेचने का ठेका नफीस नाम का ठेकेदार लेता है। आरोप है कि इस ठेकेदार ने जनपद सहारनपुर, शामली और बागपत समेत तीनों जनपदों की रेलवे पुलिस और स्टेशन मास्टरों तक साठ-गाठ की हुई है। वहीं, जब हमने ट्रेन के अंदर सामान बेच रहे दूसरे वेंडर से बात की तो उसने भी साफ शब्दो में कहा कि हम नफीस ठेकेदार के संरक्षण में काम करते हैं। अगर ट्रेन में वेंडर लगाने हैं तो नफीस ठेकेदार से बात करनी होगी। फ़िलहाल, सहारनपुर से दिल्ली जाने वाली पैसेंजर ट्रेन में नफीस ठेकेदार के अंडर में 17 वेंडर काम कर रहे हैं। वहीं, इतना ही नहीं ट्रेन के अंदर ठेकेदार नफीस खुद इन वेंडरों के साथ सफर करता है। क्योंकि ठेकेदार नफीस की इन वेंडरों से हर रोज अवैध वसूली की कलेक्शन करनी होती है।
वहीं, अगर 17 वेंडरों से वसूले गए रुपयों की कलेक्शन की बात की जाए तो 150 रुपयों के हिसाब से 17 वेंडरों से एक दिन में 2550 रुपये की कलेक्शन नफीस ठेकेदार करता है, जो महीनों के अंत तक 76500 रुपये हो जाती है। वहीं, यही कमीशन जीआरपी पुलिस, आरपीएफ पुलिस और स्टेशन मास्टर तक बांटा जाता है। इन सभी की मिली भगत से ही ट्रेन में वेंडर सामान बेच पा रहे हैं। यहां यह कहना भी गलत नहीं होगा कि केंद्र सरकार की पॉलिसी को खुद रेलवे पुलिस और अधिकारी मिलकर चूना लगा रहे हैं। वहीं, अगर देखा जाए तो 15 से 20 वेंडरों से हर महीने लगभग 80 से 90 हजार रुपये कमीशन इक्ट्ठा होता है।
वहीं, किस तरीके से ठेकेदार पुलिस की जिम्मेदारी ले रहा है, उसका एक वीडियो और एक ऑडियो वायरल हो रहा है। हालांकि, यहां यह बताना भी स्वाभाविक है कि खबर की कवरेज के बाद ठेकेदार नफीस खबर रुकवाने के लिए मीडिया सेंटर के ऑफिस पर भी पहुंचा था। जहां पर उसने मीडिया को लालच देने की बात भी की थी। लेकिन ठेकेदार को वहां से मुहू की खाकर ही वापस लौटना पड़ा। वही, जब इस मामले में आरपीएफ एसएचओ से बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। हालांकि, मामले को जानने के बाद एसओ ठेकेदार नफीस पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं। अब देखना होगा कि क्या आरपीएफ एसओ इस मामले पर कोई ठोस कदम उठाते हैं या फिर ऐसे ही कमीशनखोरी में केंद्र सरकार के आदेश की धज्जियां उड़ाते हैं।