यहां पढ़ें पूरा मामला
दरअसल शाजापुर जिले के लोंदिया गांव में तेरह दिन पहले एक बंदर को कुत्तों ने काट लिया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। बंदर की मौत के बाद हिंदू संस्कारों के मुताबिक उसका अंतिम संस्कार किया गया। बाकायदा एक मनुष्य के शव की तरह बंदर का शव भी श्मशान घाट ले जाया गया और फिर पूरी परंपराओं के तहत उसका दाह संस्कार किया भी किया गया। तेरहवीं में पहुंचे हजारों लोग तेरह दिन बीतने पर तेरहवीं का आयोजन भी किया गया। इस आयोजन में हजारों लोगों को बुलाया गया। ग्रामीणों ने बताया कि बंदर के प्रति उनकी बंदर के प्रति गहरी आस्था रही है। इसीलिए उन्होंने तेरहवीं का कार्यक्रम आयोजित किया।