नेचरलिस्ट ने बताया कि लद्दाख, कजाजिकस्तान, उजबेकिस्तान, पाकिस्तान सहित अन्य जगहों से होते हुए काफी संख्या में पक्षी अपने जिले में आ चुके हैं। पेंच नेशनल पार्क में खवासा के आसपास के क्षेत्रों में बहुतायत में पक्षी देखे जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि बर्फीले देशों में सर्दी के मौसम में जब बर्फ पड़ती है तो पक्षियों के लिए भोजन उपलब्ध नहीं हो पाता, इसलिए ये पक्षी भोजन और प्रजनन के लिए उडकऱ यहां पहुंचते हैं। अक्टूबर में ये पक्षी यहां आना शुरू कर देते हैं और प्रजनन काल पूरा कर फरवरी अंत से मार्च तक बच्चों के साथ उड़ान भर जाते हैं। जिले के जंगल, पहाड़ों में इंडियन ब्लैक बर्ड, कॉमल टेलोबर्ड, अल्ट्रा मरीन, साइबेरियन बर्ड, पैराग्रिन फंकर, रेडिस अल्डक, पोचार्ड, मेलार्ड, हाइड्रोला, कॉमन क्रेन समेत करीब 100 प्रजाति के विदेशी पक्षी पहुंचते हैं। ये करीब 5 से 6 माह का प्रवास कर वापस अपने देश लौट जाते हैं।
हजारों मील का सफर तय कर पेंच नेशनल पार्क में आए इन प्रवासी पक्षियों की चचहचहाहट सुनकर पर्यटक भी गदगद हो जा रहे हैं। पानी से भरे जलाशय, पेड़ों पर चहचहाते हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षियों को पर्यटक अपने कैमरे में कैद कर रहे हैं।
पेंच टाइगर रिजर्व में काफी संख्या में प्रवासी पक्षी आए हुए हैं। पर्यटक भी इन्हें देखकर खुश हो रहे हैं। हर वर्ष पक्षियों का आना-जाना रहता है।
रजनीश सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पेंच टाइगर रिजर्व