सिवनी

सरकारी स्कूलों के भुगतान में डिजी-गो पासवर्ड का खेल

– निर्माण कार्यों में मनमानी के लिए खोजा नया तरीका

सिवनीJan 11, 2025 / 07:14 pm

sunil vanderwar

मामला खुलने पर अगरिया-रमपुरी में निर्माण कार्य तेज।

सिवनी. सरकारी खर्चे पर हो रहे निर्माण कार्यों और दूसरे भुगतान के लिए ऑनलाइन सिस्टम डिजी-गो शुरु किया गया है। शासकीय शालाओं में इसी ऑनलाइन सिस्टम पर शासन की ओर से राशि दी जाती है, जिसमें जरूरत के मुताबिक प्राचार्य या प्रधानपाठक द्वारा सम्बंधित फर्म को ऑनलाइन भुगतान करना होता है। इसके लिए पासवर्ड भी जनरेट कर उन्हें उपलब्ध किया जाता है। लेकिन इसकी कंट्रोलिंग बीआरसीसी या विभागीय कार्यालय में भी होती है। इसी का फायदा उठाकर गड़बड़ी किए जाने की आशंका कुछ दिनों पूर्व आजाद अध्यापक शिक्षक संघ ने जाहिर की थी, जो कि सही साबित होती नजर आ रही है। घंसौर में बिना काम पूरा किए एकमुक्त आहरण के मामले तरह ही अन्य जगह भी हो रहे भुगतान की जांच कराने की मांग हो रही है।

घंसौर में हो चुका है खुलासा
शासकीय विद्यालयों के खाते में शौचालय निर्माण, मरम्मत जैसे काम की डिजी-गो पर दी गई राशि पर भी घोटालेबाजों की नजरें गड़ी हुई हैं। इसी का नतीजा है कि घंसौर विकासखंड के दो शासकीय शालाओं के शौचालय निर्माण की राशि डिजी-गो से मनमाने ढंग से आहरण कर ली गई। खुलासा तो तब हुआ, जब प्रधानपाठक ने उपयंत्री पर 50 हजार के बजाय 2.80 लाख रुपए का आहरण करने का आरोप लगाया और इसकी शिकायत विभागीय कार्यालय तक कर डाली। इसके बाद ही पूरे मामले में जिले के अधिकारी से लेकर बाबूओं में खलबली मच गई।

ओटीपी कर देते हैं ट्रांसफर
निर्माण कार्य के नाम पर जो राशि डिजी-गो में आई है, उससे भुगतान में तकनीकी समस्या आने पर प्रधानपाठक ओटीपी या पासवर्ड वरिष्ठ कार्यालय के बाबू या उपयंत्री को बता देते हैं। इसी ओटीपी का इस्तेमाल करके मनचाहे खाते में राशि का भुगतान कर दिया जाता है। इसी तरह से डिजी-गो में भुगतान का खेल होता है।

प्रधानपाठक, उपयंत्री पर हो सकती है कार्रवाई
घंसौर ब्लॉक के शासकीय शाला अगरिया और रमपुरी में शौचालय निर्माण की राशि का बिना कार्य आरम्भ किए ही आहरण कर लेने के मामले में दोनों शाला के प्रधानपाठक और उपयंत्री को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया जा चुका है। कार्रवाई के लिए फाइल जिला पंचायत सीईओ को भेजी जाना है। इस मामले में प्रधानपाठक और उपयंत्री एक-दूसरे को ही एकमुस्त आहरण के लिए दोषी ठहरा रहे हैं। हालांकि दोनों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
इनका कहना है –
घंसौर ब्लॉक के दोनों स्कूल के प्रकरण में प्रधानपाठक और उपयंत्री से नोटिस का जवाब मिल चुका है। दोनों पक्षों ने अपना-अपना लिखित बयान दिया है। इसका प्रतिवेदन अब जिला पंचायत सीईओ को दिया जाएगा
एमके बघेल, डीपीसी सिवनी

प्रधानपाठकों को ही डिजी-गो से भुगतान के निर्देश हैं, लेकिन ये लोग लापरवाह हो जाते हैं, ओटीपी ट्रांसफर कर देते हैं। इसी के कारण गड़बड़ी की स्थिति निर्मित होती है। घंसौर क्षेत्र से जो प्रकरण सामने आया है, इसी का परिणाम है। हालांकि अब दोनों स्कूलों का शौचालय निर्माण कार्य तेजी से हो रहे हैं।
कमलेश बघेल, बीआरसीसी घंसौर

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