प्लास्टिक-बैक्टीरिया से बना दिया वनीला फ्लेवर और साबुन
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक की बोतलों और फ़ूड पोइज़निंग के लिए बदनाम ‘ई-कोलाई’ नामक बैक्टीरिया के मिश्रण से वनीला फ्लेवोरिंग और साबुन तैयार किया है। इन वैज्ञानिकों का कहना है की यह प्लास्टिक प्रदुषण से निपटने का सबसे अच्छा समाधान है। इस एक्सपेरिमेंट्स से वैज्ञानिकों ने दिखाया की एक मामूली सा बैक्टीरिया भी प्लास्टिक ख़त्म करने में काम आ सकता है।
प्लास्टिक-बैक्टीरिया से बना दिया वनीला फ्लेवर और साबुन
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय ( University of Edinburgh) के वैज्ञानिकों ने पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक मीठा समाधान ढूंढ निकाला है। शोधकर्ताओं ने तमाम तरह के प्लास्टिक कचरे जैसे पोलीबैग्स, बोतलें और डिस्पोजल और खाद्य विषाक्तता के लिए बदनाम ‘ई. कोलाई’ (E-Coli) नाम के बैक्टीरिया के मिश्रण से वनीला आइस्क्रीम फ्लेवर और साबुन जैसे रोजमर्रा की जरुरत के विविध उत्पादों में बदल दिया है। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के ग्रीन केमिस्ट्री मैगजीन में प्रकाशित नए शोध के अनुसार, प्लास्टिक कचरे के खिलाफ लड़ाई में यह एक मील का पत्थर है। वैज्ञानिकों ने अमरीका में सालाना उत्पन्न होने वाले लगभग 5 करोड़ टन (50 मिलियन टन) प्लास्टिक कचरे का संभावित हल ढूंढने का दावा किया है।
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय की टीम ने प्रयोगशाला में इंजीनियर्ड किये गए ई-कोलाई बैक्टीरिया का उपयोग कर “रासायनिक प्रतिक्रियाओं की (चेन रिएक्शंस) मदद से प्लास्टिक से व्युत्पन्न अणु टेरेफ्थेलिक एसिड को प्राप्त करने में सफल रहे। कोलाई का उपयोग कर वैज्ञानिकों ने वैनिलिन तैयार किया। यह एक प्रकार का यौगिक होता है जो गंध और स्वाद वाले खाद्य पदार्थों और सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग किया जाता है। यह फूलपत्तियों को खाने वाले कीड़ों और सफाई उत्पादों में भी पाया जाता है। वैज्ञानिकों ने नोट किया कि 2018 में अकेले अमरीका में 37,000 टन प्लास्टिक सामान का इस्तेमाल किया। वैनिलिन आम तौर पर वेनिला बीन्स से आता है या पेट्रोकेमिकल गुआयाकोल से संश्लेषित कर बनाया जाता है।
अपने निष्कर्षों को व्यावहारिक रूप से प्रदर्शित करने के लिए, वैज्ञानिकों ने ई कोलाई को डिग्रेडेड प्लास्टिक में जोड़कर एक इस्तेमाल की गई बोतल को वैनिलिन में बदल दिया। शोधकर्ताओं ने कहा कि प्लास्टिक को ऐसी उपयोगी वस्तु में बदलना काफी रोमांचक है। एडिनबर्ग स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के जोआना सैडलर ने कहा, “यह शोध प्लास्टिक कचरे के जैविक प्रणाली का उपयोग करने का पहला उदाहरण है और इसका अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पडेगा। हालांकि, समाचार वेबसाइट IFL Science के अनुसार, शोधकर्ताओं ने अभी तक यह सत्यापित नहीं किया है कि वैनिलिन मानव उपभोग के लिए सुरक्षित है, लेकिन उनका मानना है कि आगे के परीक्षण में स्पष्ट हो जायेगा।