इनकी वजह से आम आदमी के हाथों तक पहुंचा था ‘इंटरनेट’
सर टिम बर्नर्स-ली (Sir Tim Berners Lee) एक ब्रिटिश कम्प्यूटर वैज्ञानिक हैं। स्विजरलैंड में दुनिया की सबसे बड़ी फिजिक्स पार्टिकल लैब CERN में काम करने के दौरान उन्होंने ‘वर्ल्ड वाइड वेब’ (www) बनाया। इस खोज के लिए उन्हें 20वीं सदी के सबसे महत्त्वपूर्ण 100 लोगों में भी शुमार किया गया। दरअसल, ‘वर्ल्ड वाइड वेब’ से पहले आम इंसान इंटरनेट से दूर ही था। उनके बनाए इस इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम के कारण ही पूरी दुनिया को इंटरनेट पर आने का मौका मिला। यह सिस्टम इंटरनेट से जुड़े दुनिया के भर के विभिन्न कंप्यूटरों पर मौजूद दस्तावेजों (सोर्स या एड्रेस) को लिंक करने के लिए हाइपरटेक्स्ट का उपयोग करता है।
कम्प्यूटर और इंटरनेट के शुरुआती दौर में उन दिनों, अलग-अलग कम्प्यूटरों पर अलग-अलग जानकारी होती थी, लेकिन इस तक पहुंचने के लिए आपको अलग-अलग कम्प्यूटरों पर लॉगिन करना पड़ता था। कभी-कभी हर कम्प्यूटर के लिए एक अलग प्रोग्राम तक सीखना पड़ता था। लेकिन, वर्ल्ड वाइड वेब ने केवल वैज्ञानिकों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी के लिए इंटरनेट की दुनिया के रास्ते खोल दिए। इसने दुनिया को जिस तरह जोड़ने का काम किया वह इससे पहले संभव नहीं था।
अब लोगों के लिए दुनिया के किसी भी कोने की जानकारी पाना, उसे शेयर करना और कम्यूनिकेट करना बहुत आसान बना दिया। टिम ने जिस सोर्स कोड और प्रोसेसिंग के जरिए ‘वर्ल्ड वाइड वेब’ विकसित किया था, वे उसे अब एनएफटी (डिजिटल आर्ट फॉर्म) के रूप में सोथबाई पर नीलाम कर रहे हैं। एनएफटी के रूप में जो भी टिम के वर्ल्ड वाइड वेब कोड को खरीदेगा, उसे टिम की ओर से पत्र भी मिलेगा, जिसमें ‘कोड और इसे बनाने की प्रक्रिया’ को दर्शाया गया होगा। टिम द्वारा लिखित सोर्स कोड की लगभग 9,555 पंक्तियों को एक एनएफटी के रूप में नीलामी के लिए रखा गया है जो कोड की प्रामाणिकता और वास्तविक स्वामित्व को साबित करता है। इसकी शुरूआती बोली केवल 1,000 डॉलर से शुरू हो रही है।