हो जायें सावधान, बच्चों में बड़ी तेजी में फैल रही है ये बड़ी बीमारी, जानिए क्या है इसके लक्षण
बता दें कि वैज्ञानिकों ने यह प्रयोग बैबून (बंदर की प्रजाति) के शरीर में किया है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने बंदर के दिल को निकालकर ‘सुअर’ का दिल लगाया, जिसके बाद इस दिल के साथ ही यह बैबून 195 दिनों तक जीवित रहा, यानी छह महीने से भी ज्यादा। ऐसे में इस प्रयोग को विज्ञान के क्षेत्र में मील का पत्थर माना जा रहा है। बता दें कि एक पशु के स्वस्थ दिल को दूसरी प्रजाति के शरीर में प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया को ‘एक्सेनाट्रांस्प्लांटेशन’ कहा जाता है। इस प्रक्रिया से दिल की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को नई जिंदगी दी जा सकेगी।
करना होता है लंबा इंतजार
दुनियाभर में लाखों की संख्या में लोग ह्दय प्रत्यारोपण के इंतजार में हैं और यह संख्या काफी तेजी से बढ़ भी रही है। एक आंकड़े के अनुसार 2030 तक अकेले अमेरिका में दिल का दौरा पड़ने के मामले 80 लाख तक पहुंच सकते हैं। लेकिन जीन में हुए बदलाव के बाद इसे काफी तक नियंत्रित किया जा सकता है। बता दें कि इस अध्ययन में 16 बैबून शामिल थे और प्रत्यारोपण के बाद सबसे अधिक 57 दिन तक एक बैबून को जिंदा रखा जा सकता है।