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विज्ञान और टेक्नोलॉजी

इस भारतीय शोधकर्ता ने सबसे पहले पकड़ी थी गूगल की ‘जासूसी’

हाल ही गूगल के उस फीचर को लेकर काफी बवाल हुआ था जिसमे डिफ़ॉल्ट सेटिंग बंद कर देने के बाद भी गूगल हमारी लोकेशन ट्रेस करने में सक्षम है

Jun 15, 2021 / 04:54 pm

Mohmad Imran

इस भारतीय शोधकर्ता ने सबसे पहले पकड़ी थी गूगल की 'जासूसी'

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इंटरनेट के इस दौर में हम छोटी सी छोटी जानकारी के लिए भी गूगल (google) के सर्च इंजन में सर खपाने लगते हैं। गूगल ने भी बीते एक दशक में अपने आपको इतना व्यापक बना लिया है की आज ज़्यादातर देशों में उसी का सर्च इंजन काम में लिया जाता है। ऐसे में हमारे डाटा की सुरक्षा के बारे में सवाल उठना भी लाज़िमी है। हाल ही गूगल के फीचर से जुड़े एक ख़ास रिपोर्ट के लीक होने पर मालूम चला की डिफ़ॉल्ट सेटिंग से लोकेशन ट्रेस करने के विकल्प को हटा भी दें तो भी गूगल हमें ट्रैक कर सकता है। यानी गूगल हर पल हम पर अपनी नज़रें गड़ाए रखता है। लेकिन दुनिया भर के देशों में रहने वाले करोङो लोगों की इस गूगल जासूसी का पर्दाफ़ाश सबसे पहलेएक भारतीय शोधकर्ता ने किया था। तब से आज तक वे लगातार इस बारे में लोगों को जागरूक हैं। आइये जानते हैं पूरा मामला।
इस भारतीय शोधकर्ता ने सबसे पहले पकड़ी थी गूगल की 'जासूसी'
आप इंटरनेट पर गूगल सर्च इंजन का उपयोग कर क्या करते हैं, कौन-कौन सी साइट्स देखते हैं, किस-किस से जुड़े हुए हैं इन सब पर गूगल नजर रखता है। यह खुलासा सबसे पहले कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले की ग्रेजुएट शोधकर्ता के. शंकरी ने किया था। भारतीय मूल की शंकरी ने अपने शोध में पाया कि विभिन्न एंड्रॉएड डिवाइस और आईफोन पर उपयोग की जाने वाली गूगल की कुछ ऐप्स हमारी गतिविधियों, स्थान और संबंधित डेटा को इकठ्ठा (store) करती हैं। भले ही आपने गोपनीयता का विकल्प चुन रखा हो तो भी यह आप पर निगरानी बनाए रखता है। अधिकांश सेवाओं के लिए यूं तो गूगल आपके स्थान की जानकारी का उपयोग करने की अनुमति मांगता है। लेकिन गूगल के कुछ फीचर्स प्राइवेसी फीचर के बावजूद हमारी गतिविधियों को ट्रेस करते हैं। मिनट-दर-मिनट की जानकारी उपयोगकर्ता की गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी जोखिम खड़ा कर सकती है। यह आमतौर पर पुलिस संदिग्धों का पता लगाने के लिए करती है। हिस्ट्री लोकेशन को बंद करने के बाद भी कुछ गूगल ऐप्स स्वचालित रूप से बिना पूछे समय-स्थान और डेटा संग्रहीत करते हैं। इसे रोक पाना संभव है लेकिन यह बहुत कठिन है।
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दो अरब यूजर निगरानी में
गूगल की इस जासूसी से दुनिया भर में एन्ड्रायड फोन का इस्तेमाल करने वाले 2 अरब से ज्यादा उपयोगकर्ताओं की निजता और डेटा की सुरक्षा खतरे में है। ये वे लोग हैं जो सामान्यत: इस निगरानी से वाकिफ नहीं है। सीनियर कम्प्यूटर इंजीनियर शंकरी बड़े ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड framework को डिजाइन करने और कम्प्यूटर के तकनीक पहलू से जुड़ी समस्याओं को हल करने में गहरा अनुभव रखती हैं। शंकरी ने देखा कि उनके उन्ड्राएड फोन ने उन्हें उन स्थानों पर खरीदारी के लिए पेशकश की जहां वे पहले जा चुकी थीं लेकिन अब उन्होंने हिस्ट्री लोकेशन ऑप्शन को बंद कर रखा था। शंकरी हैरान थी कि गूगल मैप को कैसे पता चला कि वे कब और किस जगह थीं।

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यूं समझें गूगल की चालाकी
शंकरी ने बताया कि गूगल मैप और लोकेशन हिस्ट्री (location history) जैसी सेवाओं (service) को हम काम पड़ने पर ही उपयोग में लेते हैं। जब हम इसे बंद कर देते हैं तो एक पॉपअप (pop up) नजर आता है। यहां कंपनी यह नोट करती है कि ‘कुछ जगहों के डेटा अन्य गूगल सेवाओं के लिए उपयोगकर्ता की गतिविधि के रूप में सहेजे जा सकते हैं, जैसे कि गूगल सर्च इंजन और मैप। जब हम वेब और ऐप गतिविधि सेटिंग्स को फिर से सक्रिय करते हैं तो गूगल एक पॉपअप के जरिए हमें स्टोर की हुई जानकारी दिखाता है। ज्यादातर उपयोगकर्ताओं के लिए यह एक सामान्य क्रिया होगी लेकिन वास्तव में उनके फोन में यह सेटिंग डिफॉल्ट रूप से चालू है। दरअसल, यह पॉपअप दर्शाता है कि गूगल पर सक्रिय होने के बाद डिफॉल्ट सेटिंग गूगल से संबंधित साइट, ऐप्स और सेवाओं पर उपयोगकर्ता की गतिविधियों को स्टोर करती है, संबंधित लोकेशन की तरह।

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ऐसे पाएं इस जासूसी से छुटकारा
गूगल आपकी तमाम जानकारी आपके गूगल अकाउंट के माय एक्टिविटी खाते में एकत्र करता है न कि लोकेशन हिस्ट्री में। आप ‘अपने गूगल अकाउंट में ‘वेब एंड ऐप एक्टिविटी’ (web and app activity) में जाकर इसे बंद कर सकते हैं। इसके बाद गूगल आपकी किसी भी ऑनलाइन गतिविधि पर निगरानी नहीं रख पाएगा।

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हाल ही में Google ने लॉन्च किया FLoC
The Sun की रिपोर्ट के मुताबिक Google ने हाल ही में Federated Learning of Cohorts (FLoC) नाम से नई टेक्नोलॉजी लॉन्च किया है. Google Chrome में थर्ड पार्टी cookies के बैन होने के बाद ही नए FLoC फीचर को शामिल किया गया है…

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Google FLoC करता है आपकी जासूसी
पहले ज्यादातर वेबासाइट Cookies के जरिए यूजर्स द्वारा तमाम पेज खोलने, ब्राउजिंग हिस्ट्री और शॉपिंग हैबिट्स को मॉनिटर करते थे। Cookies के बैन होने के बाद ही नए Google FLoC को लॉन्च किया गया है। गूगल इसकी मदद से दुनियाभर में Chrome यूज करने वालों के ब्राउंजिग पैटर्न पर नजर रखती है. हालांकि गूगल का दावा है कि नई टेक्नोलॉजी Cookies से कम चीजों पर निगरानी रखता है।

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कहीं आपकी तो नहीं हो रही जासूसी?
अगर आपको लगता है कि Google चोरी-छिपे जासूसी कर रहा है तो आप https://amifloced.org/ पर चेक कर सकते हैं। इस वेबसाइट जाते ही आपको Check For Floc ID का बटन नजर आएगा। इसे क्लिक करते ही आपको पता लग जाएगा कि आप गूगल की निगरानी में हैं या नहीं। उल्लेखनीय है कि Google भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, इंडोनेशिया, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, फिलिपींस और अमेरिका में FLoC को टेस्ट कर रही है। इस नए टेक्नोलॉजी की मदद से यूजर्स के शॉपिंग पैटर्न का डेटा इकट्ठा किया जाता है।

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