क्या कुछ खास होगा इस मिशन में
यह मिशन एक चुंबकीय डिटेक्टर, एक सौर दूरबीन के साथ-साथ एक एक्स-रे इमेजर से लैस होगी जो पृथ्वी के ऊपर 720 किमी प्रतिघंटा (447 मील प्रतिघंटा) की गति से सूरज की परिक्रमा करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह प्रोब सूर्य की बाहरी सतह पर होने वाली सभी गतिविधियों जैसे इसके चुंबकीय क्षेत्र और सौर तूफानी सहित अन्य रिकॉर्ड को सहेजेगा। एक साक्षात्कार में मिशन के मुख्य वैज्ञानिक गैन वीकुन के अनुसार, यह अंतरिक्ष से मौसम के पूर्वानुमान की जांच करेगा। मिशन निगरानी के दौरान जो डेटा जुटाएगा वह सौर तूफानों की जांच करने में काम आएगा क्योंकि सूरज की बाहरी सतह पर सौर तूफानों के कारण सेटेलाइट की कार्यक्षमता और पृथ्वी पर ग्रिड्स के फेल होने का खतरा बना रहता है। इस मिशन की बदौलत हम अंतरिक्ष में मौसम संबंधी किसी भी उथल-पुथल की कम से कम 40 घंटे पहले अनुमान लगाने में सक्षम होंगे। ताकि पृथ्वी के विद्युत चुम्बकीय वातावरण को सौर तूफानों से होने वाले किसी भी नुकसान की शुरुआती चेतावनी से निपटा जा सके। पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा अधिकांश सौर विकिरण को अवरुद्ध किया जाता है, इसलिए वैज्ञानिक एक संपूर्ण परिदृश्य सुनिश्चित करने के लिए इस मिशन को महत्वपूर्ण मान रहे हैं।
2025 तक चरम पर होगी सूरज की परमाणु प्रक्रियाएं
नासा के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सूर्य इस वर्ष अपनी सौर गतिविधियों को फिर से शुरू करेगा जो 2024 से 2025 तक अपने चरम पर पहुंच जाएगा। यह परमाणु संलयन गतिविधियां और सौर तूफान करीब 11 साल के चक्र में पूरी होंगी। इस प्रकार, चीन का यह मिशन बहुत महत्वपूर्ण समय में होने जा रहा है। गौरतलब है कि साल 2011 में पहली बार चीन ने सौर मिशन का प्रस्ताव रखा था। 2017 में पहली बार चीनी अकादमी ऑफ साइंसेज की ओर से इस प्रस्ताव पर मुहर लगी थी। वहीं इस मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यान के लिए प्रोटोटाइप का परीक्षण पिछले हफ्ते से शुरू हो चुका है। परीक्षण में अंतरिक्षीय पर्यावरण और सूरज के उच्चतम तापमान से निपटने के लिए भी प्रयोग किए जा रहे हैं। ये सभी प्रयोग अगले साल जनवरी के आखिर तक पूरे हो जाएंगे।
70 से अधिक सौर अभियान हो चुके अब तक
हालांकि चीन ऐसा करने वाला पहला देश नहीं है। 1960 के बाद से, विभिन्न देशों द्वारा 70 से अधिक सौर अभियान भेजे गए हैं। 2022 में चीन के इस सोलर प्रोब मिशन का उद्देश्य इस क्षेत्र में चीन की बढ़त बनाना है। बीते कुछ सालों में चीन ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में काफी इन्वेस्ट किया है। 2023 तक, यह अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने और वहां एक अनुसंधान स्टेशन बनाने का भी लक्ष्य रखता है। वहीं मई में चीन मंगल पर अपना पहला ग्रह उतारने जा रहा है। चीन 2030 तक मंगल से चट्टानों के नमूने और ब्रहस्पति ग्रह के उपग्रहों का पता लगाने के लिए भी अपने मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है।