Ranthambore National Park: बाघों की नई पीढ़ी के लिए खुशखबरी, बढ़ेगा बाघों का कुनबा
Ranthambore National Park : रणथभौर में (Ranthambore National Park) मौजूदा पर्यटन सत्र खत्म होने के कगार पर है। लेकिन यहां पर वन्यजीव प्रेमियों के लिए सुखद खबर भी सामने आ रही है।
सवाईमाधोपुर. रणथभौर में (Ranthambore National Park) मौजूदा पर्यटन सत्र खत्म होने के कगार पर है। लेकिन यहां पर वन्यजीव प्रेमियों के लिए सुखद खबर भी सामने आ रही है। दरअसल, रणथभौर बाघ परियोजना (Ranthambore National Park) में करीब चार बाघिनें शावकों के साथ विचरण कर रही है। जिन्हें वन विभाग की ओर से आने वाले समय में शावकों के व्यस्क होने पर अलग से नबर जारी किए जाएंगे। ऐसे में आने वाले समय में रणथभौर में बाघ-बाघिनों की एक युवा-भावी पीढ़ी तैयार होगी। इससे रणथभौर में वाइल्ड लाइफ टयूरिज्म बढ़ेगा।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में रणथभौर के मुय जोन यानि एक से पांच में करीब चार से अधिक बाघिनें शावकों के साथ विचरण कर रही हैं। इनमें जोन एक में बाघिन टी-107 यानी सुल्ताना तीन शावकों के साथ, जोन दो और तीन में बाघिन टी-124 यानी रिद्धी और बाघिन टी-84 यानी एरोहैड तीन- तीन शावकों के साथ विचरण कर रही है। इसी प्रकार जोन चार और पांच में बाघिन टी-111 यानी शक्ति भी तीन शावकों के साथ विचरण कर रही है।
आठ माह से एक साल के बीच है शावकों की उम्र: वन अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में बाघिन रिद्धी, एरोहैड, सुल्ताना और शक्ति के शावकों की उम्र करीब आठ माह से एक साल के बीच मेें है। वन विभाग की ओर से शावकों के करीब डेढ़ साल के होने और अपनी मां से अलग होकर अपनी टेरेटरी बनाने के बाद वन विभाग की ओर से नए शावकों को भी अलग से नबर जारी किए जाते हैं।
शावक बड़े होने पर बनाएंगे टैरेटरी
यह सही है कि वर्तमान में रणथभौर में कई बाघिनें शावकों के साथ विचरण कर रही हैं और शावक धीरे-धीरे बड़े हो रहे हैं। शावक बड़े होने के बाद आम तौर पर मां से अलग होकर अपनी अलग टैरेटरी बनाते हैं। जहां तक शावकों को नबर देने की बात है तो यह उच्च स्तरीय मामला है। इस संबंध में कुछ नहीं कह सकता।
पूर्व में कई बार बाघिन एरोहैड रणथभौर के युवा बाघ टी-120 यानि गणेश के साथ विचरण करती नजर आई है, लेकिन वर्तमान में बाघिन एरोहैड ने बाघ से दूरी बना ली है। गत दिनों रणथभौर के जोन दो के नालघाटी वन क्षेत्र में बाघिन एरोहैड अपने तीन शावकों के साथ नाले में आराम फरमा रही थी तभी वहां बाघ टी-120 बाघिन टी-105 यानि नूरी के साथ आ पहुंची, लेकिन एरोहैड ने बाघ से दूरी बना कर रखी। वन्यजीव विशेषज्ञों की मानें तो आम तौर पर बाघिन शावकों के छोटा होने पर सुरक्षा के मद्देनजर बाघों से दूरी बनाकर रखती है।
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