चित्तौड़गढ़ जिले से सिर्फ जयचंद्र जीत पाए निर्विरोध, अब तक अटूट है रेकॉर्ड
शिकार के सबसे अधिक मामले फलौदी रेंज में: रणथम्भौर में सबसे अधिक शिकार की वारदात फलौदी रेंज से सामने आ रही है। पांच सालों में यहां वन्यजीवों के शिकार के सात से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। रणथम्भौर में अप्रेल 2018 में रेंज के आवण्ड वन क्षेत्र में दो बाघों के शिकार का मामला सामने आया था। इसके बाद जनवरी 2020 में फलौदी रेंज के भैरूपुरा में दो मादा चीतलों का शिकार भी हुआ था। पिछले साल दिसम्बर में फलौदी रेंज के पास सामाजिक वानिकी वन क्षेत्र के सवाईगंज वन क्षेत्र में नौ मोरों का शिकार का मामला भी सामने आया था। अब हाल ही एक और ताजा शिकार का मामला सामने आया है। गत दिनों रणथम्भौर की खण्डार रेंज में गेहूं के एक खेत में छर्रे और कुल्हाड़ी से सांभर का शिकार किया गया। इस मामले में वन विभाग ने एक महिला शिकारी को पकड़ा है। जबकि तीन शिकारी वन विभाग की कार्रवाई के दौरान बच निकले। जिनकी तलाश की जा रही है। इन सभी शिकार के मामले सामने आने के बावजूद यहां एंटी पोचिंग टीम के गठन का नहीं हो सका है।
इसलिए किया जाना था गठन: रणथम्भौर में गठित होने वाली एंटी पोचिंग टीम को यहां अति महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपा जानी थी। इस टीम का काम रणथम्भौर के जंगल में शिकार, घुसपैठ आदि की दृष्टि से संवेदनशील और अतिसंवेदनशील इलाकों को चिह्नित करना था। इसी के साथ ही ऐसे इलाकों में टीम की ओर से ग्रामीणों की सहायता से जागरूकता अभियान चलाना था। टीम का काम विभाग के मुखबिर तंत्र को मजबूत करते हुए शिकार व अवैध घुसपैठ की वारदातों पर अंकुश लगाना था, लेकिन यहां इस टीम का गठन नहीं हो सका जबकि शिकार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
हेल्पलाइन नम्बर जारी कर, कर दी इतिश्री: 2021 में मिनिस्ट्री ऑफ इनवायरमेंट एडं क्लाइमेंट चेंज की ओर से देश भर के वन विभाग को टोल फ्री हेल्पलाइन नम्बर 1800119334 जारी किए थे। इस पर कोई भी चौबीस घंटे वन्यजीवों के शिकार के बारे में सूचना दे सकता है। इस नम्बर का प्रचार प्रसार भी नहीं किया गया। जिसके चलते इन नम्बरों पर शिकार की शिकायतें कम ही मिली हैं।
आ देखें जरा किस में कितना है दम, पर नेताजी को नजर नहीं आते सांड
इनका कहना है…हमारी ओर से रेंज स्तर पर विशेष टीम का गठन किया गया है और विभाग की ओर से लगातार कार्रवाई कर धरपकड़ की जा रही है। विभाग की ओर से इस दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।- राजबहादुर मीणा, क्षेत्रीय वनाधिकारी, फलौदी