त्रिवेणी संगम के रूप में जाना जाता है यह घाट
खण्डार में रामेश्वरम घाट पर चंबल, सीप और बनास नदी का संगम होता है। भगवान शिव का मंदिर भी है। वर्ष भर श्रद्धालुओं की आवक बनी रहती है। साथ ही साल में एक बार कार्तिक पूर्णिमा पर यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है। इसे त्रिवेणी संगम के रूप में जाना जाता है। विकसित करने की घोषणा की थी
सरकार की ओर से संकल्प पत्र में प्रदेश के प्रमुख त्रिवेणी संगमों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई थी। इसी क्रम में रामेश्वरम घाट को भी विकसित करने की कवायद की जा रही है। गुरुवार को पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक राजेश शर्मा, सहायक निदेशक मधुसूदनसिंह चारण, आरटीडीसी के इंजिनियर्स, मंदिर प्रबंधन के पदाधिकारियों ने रामेश्वर घाट का दौरा किया था और व्यवस्थाओं का जायजा लिया था।
प्रथम चरण में इन सुविधाओं को किया जाएगा विकसित
जानकारी के अनुसार रामेश्वरम धाम में प्रथम चरण में श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए गर्मी और बारिश से बचाने के लिए टीन शैड, घाटों का सौंदर्यकरण, पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग चेंजिंग रूम, भोजनशाला, शौचालय आदि का निर्माण किया जाएगा। क्रूज संचालन पर भी मंथन
सरकार की ओर से धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ वाटर ट्यूरिज्म को भी बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में सरकार की ओर से रामेश्वरम घाट से पालीघाट तक पर्यटकों के लिए छोटे क्रूज का संचालन शुरू करने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। फरवरी 2024 में इस संबंध में जिला कलक्टर की अध्यक्षता में बैठक भी हो चुकी है और इस दिशा में संभावनाओं को तलाश जा रहा है।
इनका कहना है…
रामेश्वम घाट में पर्यटन को लेकर अपार संभावनाएं हैं। इस दिशा में विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। मधुसूदन सिंह चारण, सहायक निदेशक, पर्यटन विभाग, सवाईमाधोपुर