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सतना

प्राचीन संस्कृति को बनाए रखने के लिए धार्मिक और पर्यटन क्षेत्रों को समावेश करने की जरूरत: अर्जुनदास

काशी, प्रयागराज, चित्रकूट और मैहर धार्मिक नगरी बन सकती है एक अच्छी पर्यटन सर्किट, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर भारत की दक्षिण भारत से फ्लाइट कनेक्टवटी जरूरी, अच्छी सड़कों ने खत्म की दूरियां, 7 से 8 घंटे में कर सकते है चार तीर्थों का भ्रमण

सतनाJan 19, 2019 / 03:34 pm

suresh mishra

Story of Arjun das hathiram mutt tirumala tirupati temple

Story of Arjun das hathiram mutt tirumala tirupati temple

सतना। विंध्य क्षेत्र में चित्रकूट और मैहर जैसे धार्मिक स्थल है। चित्रकूट में स्वयं भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष के वनवास काल में 11 वर्ष बिताए है। जबकि मैहर में मां शारदा का शक्ति पीठ स्थापित है। वर्तमान समय में प्राचीन संस्कृति को बनाए रखने के लिए धार्मिक और पर्यटन क्षेत्रों को समावेश करने की जरूरत है। पर्यटन सर्किट में खजुराहो और बांधवगढ़ के साथ-साथ चित्रकूट और मैहर, विंध्यवासिनी जैसे धार्मिक स्थलों को मिलाया जाए।
बाहर से आने वाले भक्तों को प्रचार-प्रसार के माध्यम से इन क्षेत्रों को खींचा आए तो ये सर्किट एक अच्छी बन सकती है। काशी, प्रयागराज, चित्रकूट और मैहर धार्मिक नगरी की सड़क कनेक्टवटी अच्छी हो गई है। अब सिर्फ उत्तर भारत की दक्षिण भारत से फ्लाइट कनेक्टवटी जरूरी है। प्रयागराज कुम्भ मेले में शामिल होने आए तिरुमल तिरुपति बालाजी स्थित हाथीराम मठ के श्रीमहंत अर्जुनदास जी ने कही।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा
विंध्य में धार्मिक पर्यटन को बढावा दिया जा सकता है। हिन्दू धर्म सस्कृति के प्रचीन मठ मंदिर सतना व रीवा में हैं। तो बौध अनुयायिओं के लिए भी भरहुत व देवकोठार जैसे स्थान है। लिहाजा चित्रकूट, मैहर, सरभंग आश्रम, गिद्धकूट आदि क्षेत्र को हिन्दू पर्यटन के अनुसार विकसित किया जाना चाहिए। वहीं बौध सर्किट का काम को तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है।
हर जगह से कनेक्टिवटी
सतना ऐसी जगह है, जहां हर बड़े शहर से कनेक्टिवीटी है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता व मद्रास जैसे महानगरों के अलावा इंदौर, भोपाल व नागपुर जैसे शहरों से कनेक्टिवीटी है। पर्यटन बनारस, इलाहाबाद व जबलपुर आते हैं, तो वे पर्यटक सतना जरूर आएंगे, इसके लिए जरूरी है कि पर्यटन स्थलों को विकसित किया जाए।
जानकारी और प्रचार
मैहर व चित्रकूट, पन्ना जैसे स्थान को पहचान की जरूरत नहीं है। इन्हे पूरे भारत में लोग जानते हैं। इनके पर्यटन स्थलों के पहुंच मार्ग की जानकारी, ठहरने की व्यवस्था, महत्व का प्रचार प्रचार होना चाहिए। वहीं सतना पहुंचने वाले पर्यटकों को सही जानकारी मिल सके, ऐसी सुविधा करनी होगी।

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