नगरों के मानव मूल्य के सर्वे के पीछे केंद्र सरकार की मंशा शहर में जीवन यापन कर रही जनता के मानक स्तर का मूल्यांकन कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है। सर्वे के तहत शहर की आबोहवा कैसी है, प्रदूषण विभाग द्वार जिन शहरों को प्रदूषित शहरों की श्रेणी में रखा गया है उनका सर्वे कर हवा एवं ध्वनि प्रदूषण के स्तर को मापकर उसमें सुधार करना।
शहर में प्रदूषण की स्थिति गंभीर है। सेमरिया चौराहा, रीवा रोड तथा औद्योगिक क्षेत्र सिंधी कैम्प शहर के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल हैं। यहां वायु प्रदूषण का स्तर 300 माइक्रान प्रति घन मीटर तक पहुंच गया है। पूरा शहर धूल एवं धुए से परेशान है। शहर में एक भी एेसी कॉलोनी नहीं, जहां की जनता खुली हवा में सांस ले सके।
नगर निगम प्रशासन शहर की कुल आबादी के मात्र 35 फीसदी लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा रहा है। 65 फीसदी परिवार अभी भी पेयजल के लिए व्यक्तिगत संसाधनों पर निर्भर है। शहरी सीमा में75 हजार परिवार निवास करते हैं। जबकि शहर के वैध नल कनेक्शन मात्र 27 हजार हैं। यहां अवैध नल कनेक्शनों की संख्या 20 हजार से अधिक है।
शहर में महज एक बसस्टैंड है। उससे प्रतिदिन 900 गाडि़यों का संचालन होता है। शहर में ऑटो-रिक्शा की संख्या 3 हजार से अधिक है। प्रमुख सड़कों पर हर दिन 4 से 5 घंटे जाम की स्थिति रहती है। जनवरी 2017 से अब तक जिले में सड़क हादसों में एक हजार लोगों की जान जा चुकी है।
शहर में 72 हजार बिजली कनेक्शन हैं। उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराने 864 ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं। शहर में 12 से 16 फीसदी बिजली की चोरी हो रही है। जबकि ऑनलाइन बिल जमा करने वाले उपभोक्तओं की संख्या महज 10 फीसदी है।
2011 में हुई जनगणना के अनुसार सतना जिले की कुल आबादी 22.23 लाख तथा सतना शहर की आबादी 2.80 लाख है। बीते सात साल में शहर की आबादी तेजी से बढ़ी है। वतर्मान में शहर में 3.50 लाख से अधिक लोग निवास कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने शिक्षा-स्वास्थ्य, पानी और हवा की गुणवत्ता परखने देश के जिन शहरों को चुना है उनमें स्मार्ट शहरों की सूची में शामिल इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, सतना, सागर तथा उज्जैन का नाम है।