नगर निगम में चलन से बाहर हो चुकी विद्युत के उपयोग से शहर की स्ट्रीट लाइट व्यवस्था दुरुस्त करने में विद्युत शाखा के अधिकारियों को पसीना छूट रहा है। अधिकारियों का कहना है एक कॉलोनी में नई ट्यूब लाइट लगाकर स्ट्रीट लाइट को चालू करते हैं तो दूसरी कॉलोनी की फ्यूज हो जाती है। एलटी लाइन से चल रही स्ट्रीट लाइट हाइ-लो वोल्टेज का लोड नहीं सह पा रही है। निगम अधिकारियों का कहना है कि स्ट्रीट लाइन में लगी ट्यूब लाइट औसतन 10-15 दिन से अधिक नहीं चलती। इससे जहां निगम को वित्तीय नुकसान हो रहा है वहीं मरम्मत कार्य न हो पाने प्रकाश व्यवस्था बेपटरी हो रही है।
शहर के जनप्रतिनिधि हर बैठक में शहर की प्रकाश व्यवस्था को लेकर हो हल्ला मचाते हैं, लेकिन नगर निगम की विद्युत व्यवस्था को नई तकनीक से जोडऩे जनप्रतिनिधियों द्वारा आज तक कोई पहल नहीं की गई। निगम प्रशासन द्वारा रखा गया एलइडी खरीदी का प्रस्ताव परिषद अस्वीकार कर चुका है। वहीं शहर की स्ट्रीट लाइन व्यवस्था निजी कंपनी को देने प्रदेश सरकार ने सतना नगर निगम को क्लस्टर बनाया था। जिसके तहत पूरे शहर में एलईडी वल्ब लगाए जाने थे। निगम निगम प्रशासन की अनदेखी के चलते दो साल से क्लस्टर का कार्य टेंडर प्रक्रिया में फंसा है।
शहर में दस हजार से अधिक स्ट्रीट लाइटें लगी हैं। इनमें एलइडी की जगह राड का उपयोग होने से यह आए दिन फ्यूज हो जाती है। निगम की विद्युत शाखा में इतने कर्मचारी नहीं हैं कि वे हर दिन शहर के 45 वार्डों में पहुंच कर बंद स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत कर सकें। ट्यूब लाइट कुछ ही दिन में फ्यूज हो जाती है। इसलिए निगम में विद्युत सामग्री की कमी भी बनी रहती है। इसके कारण पार्षद और विद्युत कर्मचारियों के दिन मेंटीनेंस को लेकर विवाद की स्थिति बनी रहती है।