टाउन हाल में कार्यक्रम के बीच विधायक सतना सिद्धार्थ कुशवाहा जब मंच पर पहुंचे तो पूरा मंच नेताओं से भरा था। दो कतार में की गई मंचीय व्यवस्था में आगे की कतार में जनप्रतिनिधि के रूप में महापौर ममता पाण्डेय मौजूद थीं तो जिपं सदस्य संजय आरख दूसरी कतार में थे। शेष कुर्सियों पर नेता बैठे हुए थे। विधायक के पहुंचते ही मुरारी सोनी और शहर अध्यक्ष मकसूद अहमद खड़े हो गए और विधायक को अपनी कुर्सी पर बैठने का आग्रह किया। लेकिन विधायक ने कहा कि आप हमारे सम्मानित हैं और आप अपना स्थान ग्रहण करें। इसके बाद उन्होंने जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग कमलेश्वर सिंह से पूछा कि कहां बैठें। तब जिला संयोजक ने पीछे से एक कुर्सी खींचते हुए सबसे किनारे रखी और बैठने कहा। यह देख विधायक बिना कुछ कहे सीधे मंच से नीचे चले गए और सामने जाकर दर्शक दीर्घा में बैठ गए। यह स्थिति देख मकसूद अहमद भी उनके साथ नीचे आ गए।
आदिवासियों के विभाग में किसी आदिवासी को बैठाइये जब विधायक मंच से नीचे उतर कर दर्शक दीर्घा में जाकर बैठ गए तो कमलेश्वर सिंह सहित विभागीय अधिकारी मनाने पहुंचे। लेकिन विधायक ने कहा कि सरकार आदिवासियों के सम्मान को स्थापित करने यह कार्यक्रम कर रही है। इस गरिमा का सम्मान करते हुए यहां बैठा हूं। आप लोग अपना कार्यक्रम करें। स्थिति न बनती देख अपर कलेक्टर भी पहुंचे जिस पर विधायक ने कहा कि शासकीय कार्यक्रम का एक प्रोटोकॉल होता है जिसका पालन नहीं दिख रहा है। अतिथियों की मंचीय व्यवस्था धराशायी है। मंच को आदिवासियों से दूर रखा गया है, यह प्रदेश सरकार की मंशा नहीं है। कार्यक्रम में भी वह गरिमा नहीं है जिसकी अपेक्षा प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने की थी। जिस विभाग का यह कार्यक्रम हैं उसमें उसी विभाग के लोगों को बैठाए। यहां तो मनमानीराज चल रहा है। कार्यक्रम के दौरान बीच में जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के चले जाने को भी उन्होंने आड़े हाथों लिया।
भाषण में भी दिखा दर्द अपने संबोधन के दौरान भी विधायक सिद्धार्थ आयोजन की खामियों पर अपना दर्द सामने रखा। उन्होंने कहा कि जिस विभाग ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया है उसके अधिकारी सरकार की मंशा को नहीं समझ पाए। सरकार सम्मान के साथ आदिवासी समाज को प्रोत्साहित करना चाहती है। सरकार की मंशा और आदिवासी समाज की संस्कृति को बताने के लिये और व्यवस्था की जरूरत है। आयोजक गण और विभागीय लोग दोबारा ध्यान रखें कि ऐसी गलती न हो और बात दूर तक जाए।
” आयोजन में औपचारिकता की खानापूर्ति की गई है। यह दुर्भाग्य जनक है। कार्यक्रम में आला अधिकारयों का रवैया भी सरकार की मंशा के अनुरूप नहीं रहा। हमने कोशिश की है कि है कि आदिवासी भाई संतुष्ट हों। जो लापरवाही हुई उसे संज्ञान लिया जाएगा। कार्यक्रम आदिवासियों के लिए था उन्हें स्थान मिलना चाहिए था। विभागीय अधिकारियों ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई।”
सिद्धार्थ कुशवाहा, विधायक सतना