बताया गया कि उचेहरा नगर परिषद के अध्यक्ष और पार्षद पद के लिए 28 नवम्बर 2014 को मतदान हुआ था। मतों की गिनती 4 दिसम्बर को की गई थी। वार्ड 13 के पार्षद पद के लिए मुबारक अली, नौशाद, पुष्पेन्द्र, आरती और रविकुमार ने नामांकन दाखिल किया था। 692 मतदाताओं में से 587 ने मतदान किया था, लेकिन गणना में 589 मत मिले। इसी के आधार पर नौशाद को एक मत से विजयी घोषित कर दिया गया था।
मतगणना में हुई अनियमितता के बाद चुनाव में हारे करार दिए गए प्रत्याशी ने याचिका जिला न्यायालय में सभी प्रत्याशियों सहित मतदान और मतगणना में शामिल अधिकारियों को प्रतिवादी बनाकर दाखिल किया और चुनाव शून्य घोषित कर खुद को निर्वाचित किए जाने की मांग अदालत से की। शासन से जवाब में बताया गया कि मतदाता सूची में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, जितने मत पड़े वह मशीन में सुरक्षित हैं। जीते प्रत्याशी ने भी याचिका का विरोध किया।
चुनाव के तीन साल बाद पार्षद घोषित किए गए याचिकाकर्ता मुबारक अली के अधिवक्ता बृजभूषण शुक्ला ने मामले में तर्क के दौरान बताया कि वोटिंग के बाद संख्या से ज्यादा मत कैसे आ गए यही इस बात का सबूत है कि बीजेपी समर्थित व्यक्ति को जिताने के लिए यह गलत कार्य किया गया है। अदालत ने उभय पक्ष द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज और मौखिक साक्ष्य का अवलोकन कर याचिकाकर्ता की याचिका को सही माना और निर्वाचन शून्य कर दिया। यही नहीं अदालत ने हारे हुए मुबारक अली पिता लाल मोहम्मद को 4 दिसम्बर 2014 से वार्ड 13 का पार्षद निर्वाचित घोषित कर दिया।