– 03 बजे तड़के पहला दर्शन
– 02 बजे दोपहर अल्प विश्राम
– 09 बजे रात बंद होगा पट ये हैं नवदुर्गाएं
– शैलपुत्री
– ब्रह्मचारिणी
– चंद्रघंटा
– कुष्मांडा
– स्कंदमाता
– कात्यायनी
– कालरात्रि
– महागौरी
– सिद्दिदात्री दशमहाविद्याएं
– काली
– तारा
– छिन्नमस्ता
– षोडशी
– भुवनेश्वरी
– त्रिपुरभैरवी
– धूमावती
– बगलामुखी
– मातंगी
– कमला
– प्रात: 5.56 से 7.20 तक द्वी स्वभाव लग्न कन्या
– प्रात: 8.55 से 10.25 तक लाभ नामक चौघडिय़ा
– प्रात: 10.25 से 11.55 तक अमृत नामक चौघडिय़ा
– मध्याह्न 11.30 से लेकर 12.19 तक अमृत चौघडिय़ा
– दोपहर 1.25 से 2.55 तक- शुभ चौघडिय़ा
– 29 सितंबर, प्रतिपदा – पहला दिन। घट या कलश स्थापना। इस दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होगी।
– 30 सितंबर, द्वितीया – दूसरा दिन। इस दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है।
– 1 अक्टूबर, तृतीया – तीसरा दिन। इस दिन दुर्गा जी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाएगी।
– 2 अक्टूबर, चतुर्थी – चौथा दिन। माता दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा-अर्चना होगी।
– 3 अक्टूबर, पंचमी – पांचवां दिन। इस दिन मां भगवती के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है।
– 4 अक्टूबर, षष्ठी- छठा दिन, इस दिन माता दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है।
– 5 अक्टूबर, सप्तमी- सातवां दिन, इस दिन माता दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की आराधना की जाती है।
– 6 अक्टूबर, अष्टमी – आठवां दिन, दुर्गा अष्टमी, नवमी पूजन। इस दिन माता दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है।
– 7 अक्टूबर, नवमी – नौवां दिन। नवमी हवन, नवरात्रि पारण।
– 8 अक्टूबर, दशमी। विधि विधान से माता का विसर्जन। इस दिन विजयादशमी या दशहरा मनाया जाएगा।