यह नजारा था मैहर देवी मंदिर के रोप वे का। यहां मॉक ड्रिल के जरिए किसी भी दुर्घटना से निपटने की तैयारी की गई। एनडीआरएफ के जवानों ने जोश दिखाया और एक-एक करके रोप वे पर बीच में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाल लिया। सभी ने एनडीआरएफ के जज्बे की सराहना की। एनडीआरएफ (NDRF) इस प्रकार के अभ्यास कई बार करता रहता है। इस दौरान आने वाली परेशानियों के साथ ही अन्य स्थितियों को भी नोट किया जाता है।
मॉक ड्रिल के लिए सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक रोप-वे का संचालन श्रद्धालुओं के लिए बंद रखा गया। मॉक ड्रिल को देखने के लिए श्रद्धालुओं का मजमा लगा रहा। रोप-वे में संभावित हादसे को देखते हुए एनडीआरएफ की टीम ने एक कृत्रिम हादसे की स्थिति निर्मित की। इसमें रोप-वे में खराबी आने के स्थिति में ट्राली बीच में रुक गई है। इसमें श्रद्धालु फंसे हैं। हवा में लटकती ट्राली में श्रद्धालु काफी देर से परेशान हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ की टीम आती है। पहले अपने माइङ्क्षकग सिस्टम के जरिए श्रद्धालुओं को दिलासा देती है और उन्हें शांत रहने की सलाह दी जाती है।
इसके बाद दल बचाव अभियान शुरू करता है। दल के लोग ट्राली तक पहुंचते हैं। इसके बाद श्रद्धालु को सुरक्षित नीचे उतारने के लिए रोप तैयार की जाती है। सुरक्षित होने की पुष्टि के बाद श्रद्धालुओं को उसमें बांध कर सुरक्षित तरीके से नीचे उतारा जाता है। यह दृश्य दूर खड़े श्रद्धालु भी देख रहे होते हैं। जैसे ही बचाव अभियान के तहत फंसे श्रद्धालुओं को नीचे उतारना शुरू होता है तो भारत माता जय, मां शारदा के जय के नारे लगने लगते हैं।
इस अभ्यास को लेकर कलेउटर रानी बाटड ने बताया कि यह एनडीआरएफ की रुटीन मॉक ड्रिल थी। इस दौरान आपात स्थितियों में त्वरित बचाव कार्य का अतयास किया जाता है। इस दौरान यह भी देखा जाता है कि बचाव कार्य में उया-उया दिउकतें स्थानीय परिस्थितियों के मद्देनजर आ सकती है। ताकि वास्तविक घटना के दौरान इससे आसानी से निपटा जा सके।
जबलपुर से 176 किमी
मैहर स्टेशन से 7.6 किमी
सतना से 37.6 किमी
प्रयागराज से 202 किमी
ग्वालियर से 399 किमी