सतना

मनोरोगी की आपराधिक दास्तान, जिसका आसान शिकार हैं बच्चियां

पुलिस का सायरन सुन जलती आग के बगल में बच्ची को छोड़कर भागा
नाबालिग से रेप के मामले में सजा भुगत कर बाहर आया था अतुल उर्फ खुशबू

सतनाJan 22, 2025 / 02:03 pm

Ramashankar Sharma

सतना। 20 जनवरी सोमवार की सर्द रात को सिटी कोतवाली थाने में घड़ी की सुई साढ़े 12 बजाने को थीं, रात का स्टाफ भी खाली ही बैठा था। तभी एक फोन कॉल आती है और सुनने वाले की पेशानी पर बल पड़ते जाते हैं। फोन कटते ही आनन फानन में थाना प्रभारी का नंबर मिलाता है और उधर फोन रिसीव होने पर बताता है…. सर, मैरिज गार्डन से एक नाबालिग 6 साल की बच्ची गायब हो गई है।
बच्ची युवक के पीछे जाती कैमरे में नजर आई

कुछ ही देर में सिटी कोतवाली पुलिस का स्टाफ मैरिज गार्डन में था। विवाह घर के सीसीटीवी फुटेज तलाशे जाने लगे थे। एक कैमरे में बच्ची नजर आती है। वह बालसुलभ तरीके से गेट की ओर जाती दिखती है और उसके आगे एक युवक भी दिखता है। यह दृश्य एक और कैमरे में नजर आता है। इसके बाद पुलिस वहां के अन्य लोगों के मोबाइल कैमरे, फोटोग्राफर के कैमरे भी खंगालती है। जिससे एक थ्यौरी स्पष्ट होती है कि बच्ची को झांसा देकर एक युवक अपने साथ ले गया है। इस दौरान तक उसका संभावित चेहरा भी सामने आ चुका होता है। इसकी सूचना थाना प्रभारी को दी जाती है।
रवाना की गई कई टीमें

थाना प्रभारी रावेन्द्र द्विवेदी बताते हैं कि बारात से बच्ची गायब हुई थी और बारात पन्ना से आई थी। शक और शुबहों के तमाम ख्याल आ रहे थे। संदेह हुआ कि कहीं पन्ना से कोई बच्ची उठाने वाला गिरोह तो नहीं है और भी कई शक तय किए गए। ऐसे मामलों में देरी खतरनाक हो सकती है। लिहाजा आनन फानन में कई टीमें गठित कर सर्चिंग शुरू करवा दी गई। इस मामले के जानकार पुलिस कर्मियों को पूरा ब्यौरा देने के साथ काम पर लगाया गया। सभी संभावित रास्तों पर पुलिस वाहन भेजे जाने लगे। कुछ ही देर में साइरन बजाती गाड़ियां आस पास के संभावित क्षेत्रों में सुरागरशी शुरू कर चुकी थीं। लेकिन आसमान के क्षितिज में फैलती रोशनी ऊषाकाल प्रारंभ होने का संकेत दे रही थीं और बच्ची का कोई सुराग नहीं लग सका था। घर परिवार के लोग हलाकान थे। पुलिस की पेशानी पर भी बल बढ़ता जा रहा था। हालांकि रात को ही कुछ घंटे में संदिग्ध युवक के तौर पर आरोपी की पहचान हो चुकी थी। उसकी पहचान अतुल त्रिपाठी उर्फ खुशबू के रूप में हो चुकी थी।
सुबह का उजाला अच्छी खबर लेकर आया

21 जनवरी की भोर हो चुकी थी। घटना को गुजरे लगभग 8 घंटे हो चुके थे। पुलिस और परिजन परेशान थे। तभी यह जानकारी आती है तो बच्ची रेलवे लाइन के आगे देखी गई है। पता चलता है कि किसी स्थानीय शौच करने वाले को यह बच्ची रेलवे लाइन पर बीचों बीच जाते दिखी। कीचड़ से सने नंगे पांव बच्ची रोती हुई रेल लाइन के बीच जाते हुए देख उसे शंका हुई तो वह बच्ची के पास पहुंचा। बच्ची ने कुछ कुछ जानकारी दी। स्कूल का नाम, घर का पता आदि बताया। इस आधार पर युवक बच्ची को लेकर घर छोड़ने निकला। तब तक इस इलाके में बच्ची के गायब होने की खबर आग की तरह फैल चुकी थी। लोगों को यह बच्ची दिखी तो सूचना पुलिस को दी गई। कुछ लोगों ने इस युवक को ही अपहर्ता मान उसके साथ बद्तमीजी शुरू कर दी। तब तक यहां पहुंची पुलिस ने उसे लोगों से बचाया। बच्ची ने भी बताया कि ये शख्श उसे सुरक्षित ला रहा था। इसके बाद बच्ची से घटना को लेकर पूछताछ की गई। घटना का रिक्रियेशन किया गया।
मम्मी बाहर गई हैं, तुम भी चलो…

पूछताछ में पता चला कि एक युवक जनमास में पहुंचा था। यहां लोगों को निमंत्रण का झांसा देकर रुक गया। फिर बारात के साथ आया। दरवाजे पर माला भी पहना और विवाह घर में अंदर आया। इसके बाद इधर उधर घूमता रहा। कुछ जगह उससे पूछा भी गया तो बाराती होने की बात कही। जिससे लोगों ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। इसी दौरान आरोपी युवक की नजर बच्ची पर पड़ी। वह बच्ची के पास आया। उससे बातचीत कर पहले घुल मिल गया। फिर बच्ची को च्युंगम दिया। खुद भी चबाया और उसे फुलाकर दिखाया। इस दौरान जब बच्ची उससे फेमिलियर हो गई तो कोन वाली आइसक्रीम खिलाने की बात की। इसके बाद कहा कि यहां कोन वाली आईसक्रीम नहीं है। बाहर मिलेगी और यह भी कहा कि मम्मी भी बाहर गई हैं। इसके बाद झांसा देकर वह बच्ची को लेकर बाहर चल दिया। झांसे में आई बच्ची उसके पीछे चलती चली गई। कुछ जगह पर बच्ची को शंका हुई तो वह चिल्लाई भी। लेकिन आरोपी ने उसे शांत करवा दिया। रेलवे लाइन पार करने के बाद एक सुनसान इलाके में दोनों लोग रुक गए। इसके बाद उसने यहां पर आग जलाई। आग के सामने बोरी बिछा कर बच्ची को बैठा दिया। इसी दौरान उसे पुलिस का सायरन सुनाई दिया। लगातार करीब आते जा रहे सायरन की आवाज सुन कर वह डर गया। और बच्ची को वहीं अकेले छोड़ कर भाग गया। इधर पैदल चल कर थक चुकी बच्ची आग की गर्मी पाकर वहीं बोरी में सो गई। सुबह जब नींद खुली तो वह रेलवे पटरी के सहारे आगे की ओर निकल पड़ी। जिसे आगे स्थानीय युवक ने देख कर मदद की। इधर बच्ची द्वारा आरोपी को पहचान लिया गया। आरोपी अतुल त्रिपाठी उर्फ खुशबू निवासी बगहा ही था।
दूधिये के साथ भगने की फिराक में था

पुलिस सायरन से डर के भागा युवक सीधे अपने घर पहुंचा था। घरवालों को बताया कि वह निमंत्रण से लौटा है। अगले दिन उठकर सिविल लाइन चौराहे पहुंच गया। यहां दूध वालों के बीच जाकर खुद को छिपाने की कोशिश करता रहा। इसके बाद शाम को एक दूध वाले के साथ यह कहते हुए उसके साथ बाइक में निकला कि उसे भी उसी दिशा में जाना है। अपना गांव रिमारी बताया। शहर से बाहर निकलने में वह सफल हो चुका था। लेकिन इस वक्त तक पुलिस उसकी तलाश में निकल चुकी थी। आरोपी को हाटी मोड़ के पास पकड़ लिया गया।
नाबालिग लड़कियों को बनाता है निशाना

पकड़ में आये युवक की जब कुण्डली तलाशी गई तो पता चला कि यह युवक बौद्धिक विकलांग है। मानसिक मंदता का शिकार है। पहले भी अपने परिचित एक परिवार की नाबालिग बच्ची के साथ रेप के आरोप में जेल भेजा गया था। सात साल की सजा भुगतकर पिछले साल बाहर आया था। लेकिन उसकी हरकतों में सुधार नहीं आया था। उसकी हरकतों से मोहल्ले के लोग परेशान रहते थे। चोरी करना, लोगों को परेशान करना उसकी आदत में आ चुका था। एक बार मोबाइल चोरी करके भाग निकला था। ऐसी एक बार कपड़ों का बैठ उठा लाया था। घर में बिना बताए निकल जाता था। कई-कई दिन नहीं आता था। इससे परेशान होकर इसके पिता ने नवंबर 2024 में सिविल लाइन पुलिस को सूचना दी थी। जिसमें बिना बताए गायब होने की जानकारी देते हुए अप्रिय घटना की आशंका भी जताई थी। इधर आरोपी इस बार भी एक बच्ची को उठा ले जाने के मामले में पकड़ा गया है।
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बौद्धिक विकलांग यौन अपराधों के लिए अतिसंवेदनशील

इस केस के मामले में पत्रिका ने मेडिकल कॉलेज सतना के मानसिक रोग विशेषज्ञ एवं विभागाध्यक्ष डॉ धीरेन्द्र मिश्रा से बात की। उन्होंने कहा कि मानसिक रोगी भले ही कोई हो लेकिन कानूनन अपराध में इन्हें कोई राहत नहीं मिलती है। जिस तरह का इसका विकलांगता सर्टिफिकेट बताया जा रहा है उससे वह मानसिक मंदता की बार्डर लाइन पर है। जिस तरह की इस केस की हिस्ट्री है उसके अनुसार वह प्लान बना रहा है और उसे एक्ज्क्यूट भी कर रहा है। इससे उसका आईक्यू लेबल भी ठीक है। ऐसे लोगों को विशेषज्ञ संस्थाओं में विशेषज्ञ चिकित्सकों से इलाज करवाना चाहिए। डॉ मिश्रा ने कहा कि शोध बताते हैं कि बौद्धिक विकलांगता (इंटेलेक्चुअल डिसेबिल्टी) वाले लोग यौन अपराध जैसे विशिष्ट अपराधों को अंजाम देने के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। इसके अलावा निष्कर्षों से पता चलता है कि बचपन की उपेक्षा, शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसी जटिलताएं विशेष रूप से इंटेलेक्चुअल डिसेबिल्टी (आईडी) वाले अपराधियों में आम हैं। आईडी वाले अपराधी पुलिस से बचने में कम प्रभावी हो सकते हैं और अपराधी के रूप में अधिक दिखाई दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि भले ही ये अपराधी मानसिक रूप से कमजोर होते हैं लेकिन शरीर की यौन इच्छाएं इनमें भी आती हैं। उस वक्त इन्हें इसकी सामाजिक समझ नहीं होती है। इसके लिए ऐसे वक्त में ये ज्यादातर अपने से कमजोर को निशाना बनाते हैं। इस केस में भी ऐसा ही हुआ। बच्ची उसके लिए आसान शिकार थी।
आरोपी का बना है विकलांगता सर्टिफिकेट

आरोपी अतुल का जून 2023 में बौद्धिक विकलांगता और मानसिक मंदता का सर्टीफिकेट बना हुआ है। इसे 40 फीसदी विकलांग माना गया है। मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के चिकित्सकों के मुताबिक यह ज्यादा मानसिक मंदता का शिकार नहीं है। यह बार्डर लाइन पर है। सामान्य भाषा में समझे तो वह कठिन गुणा भाग नहीं कर सकता है लेकिन गुणा भाग कर सकता है।

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