ग्रामीणों के मुताबिक गांव में अब भी करीब 200 लोग बुखार से पीड़ित हैं। उनका आरोप है कि प्राइवेट हॉस्पिटल में जांच कराने के बाद बीमार लोगों में डेंगू की पुष्टि हो रही। जबकि, सरकारी हॉस्पिटल में टेस्ट कराने पर डेंगू के कोई भी लक्ष्ण नहीं मिल रहे हैं। आलम यह है कि सरकारी महकमा प्राइवेट हॉस्पिटल की रिपोर्ट मानने को तैयार नहीं है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि दो दिन से गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची हुई है, लेकिन वो भी महज खानापूर्ति कर रही है। सभी पेसेंट को दो टैबलेट दिए जा रहे हैं, चाहे मरीज को कोई भी बीमारी हो।
सांसद के पास समय नहीं! संदिग्ध बीमारी से पूरा गांव सहमा हुआ है, ऐसे में हमने सांसद हुकुम सिंह से फोन पर बात करने की कोशिश की। जिन्होंने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इस गांव को गोद लिया है। फोन उनके पीए कृष्ण मित्तल ने उठाया। हमने इस बीमारी के बारे में उन्हें बताया और सासंद से बात कराने की बात कही। उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बात करने से इनकार कर दिया। कृष्ण मित्तल ने यह भी कहा कि सांसद जी बाहर हैं और उनसे कल बात होगी।
गंदगी के कारण फैल रही बीमारी प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने साल 2014 में ग्रामीण इलाकों का विकास करने के लिए आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत हर सांसद को एक गांव गोद लेकर उसका संपूर्ण विकास करना था। इसी कड़ी में कैराना से बीजेपी सांसद बाबू हुकुम सिंह ने सुखेड़ी गांव को गोद लिया था। योजना के तीन साल हो गए लेकिन विकास होने की बजाय पूरा गांव बीमार पड़ चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि विकास के नाम पर आज तक इस गांव में कुछ भी नहीं किया गया है। चारों तरफ गंदगी और बीमारी का कहर है। इतना ही नहीं आज तक मूलभूत सुविधा के लिए यह गांव बाट जोह रहा है। गौर करने वाली बात यह है सांसद की अनदेखी के कारण एक और जहां आदर्श ग्राम योजना की धज्जियां उड़ रही है, वहीं दूसरी ओर
स्वच्छ भारत अभियान की योजना भी पलीत हो रही है।