उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद फतवा फैक्ट्री बन कर रह गया है, जिसका काम औरतों की जिंदगी को दुश्वार करने के लिए फतवे जारी करना है। ये लोग कभी पुरुषों के लिए कभी कोई फतवा क्यों जारी नहीं करते हैं। इनके फतवे सिर्फ और सिर्फ मुसलमान औरतों की जिंदगी को दूभर करने के लिए हैं। कभी मुसलमानों की औरतों के खान-पीन तो कभी वेशभूषा और शिक्षा व बाहर काम करने को लेकर ये लोग आए दिन फतवे जारी करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि इन फतवों को जारी करने का मकसद सिर्फ पब्लिसिटी है। ये इस आधार पर सरकार को ब्लैकमेल करते हैं। उन्होंने कभी इन बातों के लिए आवाज उठाई की औरतों को शिक्षित कैसे बनाएं। उन्होंने कभी महिलाओं की समस्याओं को कैसे दूर किया जा सकता है, इसके लिए आवाज नहीं उठाई। उल्टे उनके रास्ते में कोई न कोई रोड़ा अटकाते हैं।
उन्होंने कहा कि दारूल उलूम देवबंद अपने मकसद अलग हट गया है और वह हर काम करने के लिए तैयार हैं, जिसकी इस्लाम में मनाही है। इस्लाम में औरतों को बराबरी का दर्जा दिया गया है, लेकिन यह औरतों को जलील और रुसवा करने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देते। सिर्फ यही चाहते हैं कि औरत चारदीवारी में कैद हो जाए और हमारी पैर की जूती बनकर रह जाए। इनकी गुलामी करती रहे और एटीएम मशीन की तरह बच्चे पैदा करती रहे, ताकि इनका वोट बैंक मजबूत रहे। ये कभी ऐसा काम नहीं करेंगे, जिससे महिलाओं की स्थिति को मजबूत बनाया जा सके।
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यूट्यूब पर हिट है यह युवक, ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर मार डाला वहीं उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि दूसरी तरफ सरकारें महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करती हैं और तीन तलाक के मुद्दों पर चुनाव लड़ने की बात करती हैं। जब चुनाव का टाइम होता है तब मुसलमान औरतों की याद आती है, ताकि इनके आधार पर चुनाव लड़ सके, लेकिन उनकी समस्याओं को सुनने के लिए इनके पास वक्त नहीं है। बार-बार मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश की गई, ताकि तीन तलाक का दंश झेल रही महिलाओं का पक्ष उनको बताया जा सके। लेकिन, आज तक मुख्यमंत्री के पास वक्त नहीं है कि वह महिलाओं से मुलाकात करके उनकी समस्या दूर कर सकें। दारुल उलूम देवबंद दहशतगर्दी फैलाने का काम नहीं करता है, ऐसा इनके मौलानाओं का कहना है, लेकिन ये दहशतगर्दी नहीं है तो क्या है? उन्होंने समाज में एक भय पैदा कर रखा है, ताकि लोग अपने घरों दुबके रहे और इनके आगे बोलने की हिम्मत न कर सकें।