उल्लेखनीय है कि एक बार फिर गणतंत्र दिवस के मौके पर मदरसों में झंडा फहराया जाएगा। मिठाईयां बांटी जाएंगी और जो आजादी के समय शहीद हुए हैं उनको याद किया जाएगा। नई जनरेशन को बताया जाएगा कि देश के लिए किस तरह देशभक्तों ने कुर्बानी दी। इसके साथ देश भक्ति नारे भी लगाए जाएंगे। वहीं मदरसा जामिया हुसैनिया देवबंद के उस्ताद तारीक कासमी ने कहा है कि बड़ी बात यह है कि नारे लगाने से देश भक्ति का इजहार होता है। उन्होंने कहा कि न तो मुसलमान देशभक्ति के नारे लगाने से पहले चूका है और न अब चूकेगा, लेकिन भारत माता की जय आैर वंदे मातरम् के नारे बिल्कुल नहीं लगा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मुसलमान अपने मजहब के अंदर मुकम्मल तोहिद होता है, जिसके यहां अल्लाह के अलावा किसी और की इबादत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि जैसा कि भारत माता की जय आैर वंदे मातरम् को लेकर जहां तक मैं समझता हूं की इन शब्दों के एक मामूदियत (एक मूर्ति का नाम) तसव्वुर होता है। यह एक मुसलमान के लिए जायज नहीं है। इसलिए अगर मकसूद हिंदुस्तान के नारे से इजहारे देश भक्ति है तो हिंदुस्तान के जिंदाबाद होने के नारे हम लगाते चले आ रहे हैं। इसी हिंदुस्तान के नारे से हमने अंग्रेजों को पहले भी भगाया है और आज भी अपनी देशभक्ति इसी हिंदुस्तान के नारे से जिंदा रखते हैं और जिंदा रखेंगे। हिंदुस्तान जिंदाबाद है और जिंदाबाद रहेगा, लेकिन हम वंदे मातरम नहीं कहेंगे।