इस सूचना के बाद वह एक मिनट भी घर नहीं रुके और देवबंद के लिए रवाना हाे गए। बताैर ऑफिसर यह उनका पहला टर्म था जब इतनी भीड़ काे काबू करना था, समझाना था और लाेगाें के बीच जाना था। अर्पित बताते हैं कि जब उन्हाेंनें भीड़ काे देखा ताे लगा कि इतनी भीड़ काे बिना बल प्रयोग किए कैसे काबू किया जा सकता है ? लेकिन अपनी परवाह किए बगैर वह भीड़ के बीच चले गए। मूल रूप से राजस्थान के काेटा के रहने वाले आईपीएस ऑफिसर अर्पित यह भी बताते हैं कि अभी तक उन्हे ट्रेनिंग में यह सब सिखाया ताे गया था लेकिन प्रैक्टिकल में भीड़ के बीच जाने और भीड़ काे राेकने यह पहला माैका था। ऐसे में उन्हे वह पंक्तियां याद आई जाे दाे दिन पहले ही एसएसपी दिनेश कुमार ने उन्हे बताई थी और कहा था कि ”जब हालात मुश्किल हाें ताे जूनियरटी-सीनयिरटी काे भूलकर अनुभव के आधार पर निर्णय लेने चाहिए और हमने फिर यही किया। इसी से सफलता भी मिली और एसपी देहात विद्या सागर मिश्र व एसपी सिटी विनीत भटनागर के साथ साथ इस दौरान अन्य लोगों का अनुभव काम आया और इस तरह हम भीड़ काे समझाने में भीड़ काे शांत करने में कामयाब भी हुए।
जीवन में एक घटना ने बदल दी राह अर्पित विजयवर्गीय बताते हैं कि, आईआईटी में जब वह पढ़ाई कर रहे थए ताे उन्हाेंने कभी नहीं साेचा था कि सिविल सेवा में जाएंगे। वह भी अपने सीनियर की तरह दुनियाभर में जाकर लाखों कराेड़ाें के पैकेज की चाह रखते थे लेकिन वर्ष 2012 में उनके जीवन में एक ऐसा बदलाव आया जिसने उनकी राह ही बदल दी। अर्पित बताते हैं कि उनके सीनियर जाे लंदन में थे वहां से लाैटे और उन्हाेंने IAS की तैयारी की। उनमें दाे सीनियर आज IAS भी हैं। जब उनसे बात हुई ताे उन्हाेंने कहा कि लंदन में ताे थे पैकेज भी अच्छे थे लेकिन एक संतुष्टि जाे इस सर्विस में मिलती है वह वहां पर नहीं मिली। इसलिए प्रशासनिक और सिविल सेवा चुनने का रास्ता तय किया और फिर 2013 में सिविल सेवा की तैयारी करने के लिए दिल्ली आ गए।