गंगोह कस्बा क्षेत्र के गांव उम्मेदगढ़ के किसान राकेश कुमार व श्याम बाल्मीकि ने बताया कि उन्होंने कर्ज लेकर 17 बीघा जमीन ठेके पर ली थी। इस जमीन में करीब 40 हजार रुपये की लागत लगाकर हाइब्रिड बीज से गोभी की फसल की बुवाई की थी। इसके अलावा, यूरिया, डीएपी, खाद और निराई-गुड़ाई में भी उनका धन खर्च हुआ लेकिन जब फसल अब तैयार हुई तो अब बाजार में दो रुपये किलो का भाव भी नहीं मिल रहा ऐसे में परेशान हो गए है।
उन्होंने बताया कि अगर इतने सस्ते दाम में फसल को काटकर मंडी बेचने ले जाते हैं तो फसल को काटने और मंडी में ले जाने तक का खर्च भी उनको नहीं मिल रहा है। ऐसे में मजबूर होकर उन्होंने अपनी इस फसल को नष्ट कर दिया है। उधर मुबारकपुर गांव के रहने वाले दीपक सैनी का कहना है उन्होंने भी अपनी फसल को अब मंडी में ले जाना बंद कर दिया है। मंडी में फसल ले जाने के लिए कम से कम पांच रुपये किलो का भाव चाहिए वरना तो खर्च भी नहीं मिल पाता ऐसे में उन्होंने सब्जी को मंडी में ले जाना बंद कर दिया है।