सत्य धर्म सत्य हो यह कोई नियम नहीं है: मुनि सुधा सागर
भाग्योदय तीर्थ में आयोजित धर्मसभा में निर्यापक मुनि सुधासागर महाराज ने कहा कि इस दुनिया में अधर्म भी एक प्रकार का नहीं है, सबके अधर्म अलग-अलग हैं।
भाग्योदय तीर्थ में धर्मसभा का आयोजन
भाग्योदय तीर्थ में धर्मसभा का आयोजन सागर. भाग्योदय तीर्थ में आयोजित धर्मसभा में निर्यापक मुनि सुधासागर महाराज ने कहा कि इस दुनिया में अधर्म भी एक प्रकार का नहीं है, सबके अधर्म अलग-अलग हैं। इसी तरह हर वस्तु का एवं हर क्रिया का धर्म अलग – अलग है। वस्तु के स्वभाव का नाम धर्म है। सत्य शाश्वत है, अविनाशी है, हमारी जिंदगी का आधार नहीं है। सत्य से जिंदगी नहीं जी जा सकती है। सत्य यदि किसी के लिए विपदा का कारण बनता है उसे असत्य की कोटि में लिया। यदि किसी को सुधारने के लिए असत्य का प्रयोग करना पड़े तो वह सत्य तो नहीं है, लेकिन सत्य धर्म है। सत्य बिल्कुल भिन्न वस्तु है और धर्म बिल्कुल भिन्न वस्तु है। मुनि ने कहा कि सत्य धर्म सत्य हो यह कोई नियम नहीं है, असत्य भी सत्य धर्म हो सकता है। दुनिया में कितना भी कुछ हो जाए सत्य कभी डिगता नहीं है और धर्म कभी टिकता नहीं है। सत्य का एक ही मुख होता है और धर्म के अनेक मुख होते है। सत्य से कल्याण नहीं है, धर्म से कल्याण है। लोग सत्य की खोज में लगे रहते है जिसे विज्ञान कहते है। जब- जब तुम सत्य की खोज पर जाओगे तुम्हारा विनाश निश्चित है और सत्य की खोज का जो अनुकरण करेगा उसका विनाश निश्चित है।
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