मरई माता मंदिर से निकले जवारे रवि शंकर वार्ड स्थित प्राचीन मां मरई माता मंदिर मंदिर में महाआरती और भोग प्रसादी का आयोजन किया गया। यहां 300 वर्ष से भी ज्यादा समय से एकमात्र सबसे बड़ादेवला लगता है। पुजारी पंडित ओपी दुबे ने बताया कि 9 दिन मां आराधना की गई। सभी भक्तों ने अपनी अर्जी लगाई। मंदिर की व्यवस्थापक बटु दुबे ने बताया कि 9 दिन गाजे-बाजों के साथ जवारे निकाले गए। महिलाएं सिर पर खप्पर रखकर चकरा घाट पहुंची। इस मौके पर पुनीत दुबे, विवेक प्रभात घोषी, बिंदेश साहू, नरेंद्र ठाकुर, रोहित व्यास, गौरव नामदेव एवं सुल्तान घोषी आदि मौजूद रहे।
महाकाली मंदिर में 1100 दीपकों से आरती चमेली चौक महाकाली मंदिर में 10 महाविद्याओं का पूजन कर हवन-यज्ञ किया गया। पुजारी संजय अवस्थी ने दुर्गा सप्तशती के 700 श्लोकों से हवन कर पूर्णाहुति कराई। रात 8 बजे 1100 दीपों से मां महाकाली की महाआरती की गई। इसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने हिस्सा लिया।
मां सिद्धिदात्री स्वरूप में हुए दर्शन भैया जी वैद्य काली दरबार में मां सिद्धिदात्री के दर्शन भक्तों के लिए मिले। यहां नौवें दिन मां सिद्धिदात्री के रूप में श्रृंगार किया गया। नवमी पर दोपहर बाद दुर्गा पंडालों में हवन-पूजन शुरु हुआ, जिसमें भक्तों ने आहुतियां देकर क्षमा याचना सहित सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। शाम को भक्तों की भीड़ के चलते दुर्गा पंडालों के आसपास मेले जैसा माहौल नजर आया।
कांधे वाली काली को देंगे विदाई पुरव्याऊटौरी से भक्त माता को कंधों पर बैठाकर चल माई काली के जयकारों के साथ चल समारोह निकालेंगे। समारोह के आगे मशाल चलेगी। चल समारोह में बड़ी संख्या में भक्त शामिल होंगे। बताया जाता है कि ब्रिटिशकाल में रोशनी की व्यवस्था नहीं होती थी। इसी के चलते मशाल के उजले में मां को विसर्जन के लिए ले जाया जाता था। परंपरानुसार उत्साह के साथ कांधे वाली काली माई का चल समारोह निकालते हैं।