जिला अस्पताल से 3.5 किमी की दूरी पर छतरपुर हाईवे पर स्थित ग्राम मामौन की पहाड़ी से लगी जमीन को मेडिकल कॉलेज के लिए आरक्षित कर दिया गया है। कलेक्टर अवधेश शर्मा ने इसके लिए आदेश जारी कर यहां की जमीन के कुल 18 खसरा नंबरों की 12.9 हेक्टेयर जमीन को मेडिकल कॉलेज के लिए आवंटित कर उसे सरकारी रिकार्ड में दर्ज कराने के आदेश दे दिए हैं। ऐसे में अब समझा जा रहा है कि यहीं पर मेडिकल कॉलेज बनाया जाएगा। विदित हो कि यहां पर बनाए जाने वाले मेडिकल कॉलेज में 100 एमबीबीएस की सीटें हैं और यहां पर छात्र डॉक्टरी पढ़ेगे। ऐसे में यहां पर जिला अस्पताल की 5 किमी की परधि में जमीन की तलाश की जा रही थी।
आपत्तियों का किया निराकरण इस बार प्रशासन ने इस जमीन को लेकर बाकायदा सूचना जारी की थी। इसके बाद लोगों की आपत्तियां मंगाई थी। जमीन आवंटित होने के पूर्व 4 लोगों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। इसमें इस जमीन पर संचालित श्री कृष्ण गोशाला की ओर से बृजेंद्र श्रीवास्तव, जमीन पर फलों का बगीचा लगाने वाली ऊषा प्रजापति, राबिया बेगम एवं अधिवक्ता निर्मल लोहिया ने आपत्ति दर्ज कराई थी। इन सभी की आपत्तियों का निराकरण करने एवं निर्धारित समय में दोबारा आपत्ति दर्ज न होने पर प्रशासन ने इस जमीन को मेडिकल कॉलेज के पक्ष में हस्तांतरित कर दिया है।
तीन बार पहले भी हुई आवंटित विदित हो कि सबसे पहले मेडिकल कॉलेज के लिए ग्राम मवई में जमीन आवंटित की गई थी। यह जमीन मेडिकल कॉलेज के प्रस्ताव के साथ ही आवंटित की गई थी, लेकिन इसकी दूरी 15 किमी से भी अधिक होने पर इसे अमान्य कर दिया गया था। इसके बाद प्रशासन ने कृषि महाविद्यालय की जमीन को मेडिकल के लिए आवंटित किया था, लेकिन इस जमीन का मामला न्यायालयीन चक्कर में पड़ जाने से उसका निराकरण नहीं हो सका है। वहीं इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 6 माह पूर्व टीम को भेजा था। उस समय टीम ने ग्राम उत्तमपुरा की जमीन को सबसे अधिक उपयुक्त माना था, लेकिन इस जमीन को लेकर भी लोग आपत्ति दर्ज कराने लगे थे। ऐसे में टीम ने एक बार फिर से कमिश्नर के आदेश पर जिले का भ्रमण कर मामौन की जमीन को फाइनल किया था।