सुंदरकांड का पाठ करने से हमारे जीवन के समस्त कांड सुंदर होते हैं : चिन्मयानंद बापू
राम कथा के सातवें दिन शनिवार को चिन्मयानंद बापू ने कहा कि भरत चरित्र से दो भाइयों के बीच में कैसा प्रेम होना चाहिए इसकी शिक्षा हमें प्राप्त होती है।
खेल परिसर के बगल वाले मैदान में चल रही राम कथा के सातवें दिन शनिवार को चिन्मयानंद बापू ने कहा कि भरत चरित्र से दो भाइयों के बीच में कैसा प्रेम होना चाहिए इसकी शिक्षा हमें प्राप्त होती है। आज समाज में हमें यही देखने को नहीं मिलता संपत्ति के पीछे भाइयों में हर जगह झगड़ा हो रहा है। भरत जैसा प्रेम और भाई मिलना इस धरती पर असंभव है। बापू ने सुंदरकांड की शुरुआत में जामवंत जैसे वृद्ध की बात हनुमान महाराज जैसे नौजवान को पसंद आई, इसलिए सुंदरकांड के व्याख्या में तुलसीदास ने इसका नाम सुंदरकांड रखा। बापू ने कहा जिस दिन वृद्ध मां-बाप की बात नौजवान भाई बहनों को अच्छी लगने लगेगी उनके जीवन के प्रत्येक कांड सुंदर ही हो जाएगा। उन्होंने कहा कि संसार के सभी दु:खों का निवारण हनुमान महाराज की उपासना है, क्योंकि हनुमान महाराज कलयुग के प्रत्यक्ष देव हैं और कण- कण में व्याप्त हैं। हनुमान महाराज की प्रत्येक व्यक्ति को आराधना करनी चाहिए।
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