देवरीकलां. श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथाचार्य चिन्मयानंद बापू ने बताया कि जिस व्यक्ति ने सारे जीवन सभी पाप किए और मरने पर भी किए तो भागवत कथा कराने से सारे पापों से मुक्त हो जाता है जिस व्यक्ति की अकाल मौत हुई हो उसके मरने के बाद भी भागवत कथा कराने से उसे मोक्ष मिल जाता है।
उन्होंने भगवान
कृष्ण को तीन चीजें प्यारी होती है गीता, गोपी और गाय जब यह तीनों चीजें भगवान को प्यारी होती हैं तो हमें भी प्यारी होना। चाहिए गाय के प्रति आदरभाव रहना चाहिए। गौ सेवक बनने से कुछ नहीं होता। हमारी सेवा दिखाई देनी चाहिए जो गाय के नाम पर झगड़े करते हैं। झगड़े नहीं होने चाहिए जिस दिन सड़क पर घूमने वाली गाय दिखाई ना दे उस दिन समझना गौ सेवकों की गौ सेवा सफल हो गई गाय घर में बंद नहीं लगी तो समझो गौ सेवा सफल हो गई गाय के नाम पर उपद्रव करने से अच्छा है हम गो सेवा करें। श्री चिन्मयानंद बापू ने ब्रामण आत्मदेव और उसकी पत्नी धुंधरी की कथा सुनाते कहा की पत्नियों का स्वभाव धर्मप्रेमी होता है। पुरुषों का मन अन्य कामों में लगता है या धनोपार्जन में लगता है। लेकिन आत्मदेव के यहां बिल्कुल उल्टा है आत्मदेव धर्मप्रेमी था और उसका मन कथा गौ सेवा आदि में लगता था लेकिन उसकी पत्नी का मन प्रपंचों में लगता था, लेकिन ब्राह्मण गाय की सेवा करता घर में लगे
तुलसी वृक्ष की सेवा करता था तुलसी को बार-बार पानी देने के बाद भी पेड़ सूख जाता था और उसके पड़ोसियों के घर में तरक्की होती थी किसी ने कहा तुम निसंतान हो इसलिए तुम्हारी सेवा व्यर्थ है तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाने के बाद भी सूख जाता है। वह संतान न होने का कारण है संतान ना होने के कारण आत्मदेव के मन में विचार आया क्यों ना आत्महत्या कर ली जाए जब वह आत्महत्या करने के लिए नदी के किनारे पहुंचा तो वहां एक संत ने उसे रोका आत्महत्या क्यों कर रहे हो तब आत्मदेव ने संत से कहा कि मैं निसंतान हूं इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं तब संत ने कहा आत्महत्या करने से क्या होगा तब आत्मदेव ने कहा संतों की सेवा करने से सब संभव हो जाता है संत जो चाहे वह हो जाता है अत: आप मुझे संतान उत्पन्न होने के उपाय बताएं तब संत ने आत्मदेव से कहा कि तुम्हारी मस्तिष्क में मैंने देखा और तुम्हें सात जन्म तक संतान सुख नहीं है फिर भी आत्मदेव ने संत से कहा कि आप सब कुछ कर सकते हो तब संत ने संतान उत्पत्ति के लिए एक फल आत्मदेव को दिया कि जाकर यह तुम अपनी पत्नी को खिला देना तुम्हें संतान हो जाएगी लेकिन उसकी पत्नी स्वभाव से बड़ी टेडी थी उसने वह फल गाय को खिला दिया जिससे गाय के यहां एक पुत्र हो गया जिसका नाम गोकर्ण रखा गया। धुन्दरी ने अपनी सुंदरता बचाने के लिए अपनी बहन का बेटा ले लिया जिसका नाम उसने धुन्दकारी रखा जो स्वभाव से भी अत्यंत नीच प्रवृत्ति का लालची स्वभाव का था तथा दूसरी तरफ गाय के यहां जन्मा गोकर्ण सिद्धांतवादी सच्चा मातृ-पितृ का सेवक निकला।
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