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रीवा के माडल साइंस कालेज से 300 अंकसूची का प्रोफार्मा गायब, फर्जीवाड़े की आशंका बढ़ी

– माडल साइंस कालेज से सील लगाए प्रोफार्मा हुए थे चोरी, विभाग तक को नहीं दी सूचना- फर्जी अंकसूची के कारोबारियों का कालेज प्रबंधन से संबंध होने की आशंका

रीवाFeb 18, 2020 / 12:41 pm

Mrigendra Singh

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रीवा। फर्जी अंकसूची के जरिए सरकारी नौकरियां हासिल करने के कई मामले हाल ही में सामने आए हैं। इसमें अधिकांश अंकसूचियां माडल साइंस कालेज रीवा से जारी होने का दावा किया जा रहा है। कालेज के कुछ अधिकारी, कर्मचारियों की भूमिका को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है।
कुछ समय पहले ही कालेज से अंकसूची के तीन बंडल और चार सील चोरी होने का मामला सामने आया था। तीन बंडलों में 300 की संख्या में अंकसूची के प्रोफार्मा को रखा गया था। कालेज के भीतर से केवल अंकसूची का प्रोफार्मा और उसमें लगाई जाने वाली सीलें चोरी होना इस बात की आशंका को और बढ़ाता है कि फर्जी अंकसूची तैयार करने वाले गिरोह से कालेज प्रबंधन के भी तार जुड़े हैं।
नौ जनवरी 2018 को माडल साइंस कालेज के प्राध्यापक आरएन तिवारी की ओर से एक रिपोर्ट सिविल लाइन थाने में दर्ज कराई गई थी, जिसमें कालेज से खाली अंकसूची के तीन बंडल जिसमें 300 की संख्या में प्रोफार्मा था और चार नग कालेज की सील जो अंकसूची में लगाई जाती थी चोरी हो गई। इनका फर्जी रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। सील भी चोरी हुई है, जिसकी वजह से खाली अंकसूची में नाम लिखकर सील लगाकर उसका उपयोग किया जा सकता है।
पूर्व में दर्ज कराई गई सिविल लाइन थाने में रिपोर्ट पर पुलिस ने भी मामले में पर्दा डालने का प्रयास किया और अब तक किसी की गिरफ्तारी कर इसका खुलासा नहीं कर पाई है। कुछ समय पहले सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी को देने में कालेज प्रबंधन आनाकानी कर रहा था। कालेज के अधिकारी ने प्राचार्य को इस शर्त पर जानकारी उपलब्ध कराई कि इसका दुरुपयोग होगा तो वह जिम्मेदार नहीं होगा।

– चोरी की सूचना देकर शांत हो गया कालेज प्रबंधन
माडल साइंस कालेज के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका को लेकर पहले भी कई मामलों में सवाल उठते रहे हैं। बड़ी संख्या में अंकसूची चोरी होने की केवल सूचना देकर तत्कालीन प्रबंधन शांत हो गया। इन अंकसूचियों का दुरुपयोग नहीं हो, इसके भी प्रयास नहीं हुए। तत्कालीन प्राचार्य एवं अन्य जिम्मेदारों की ओर से अंकसूची चोरी होने का सार्वजनिक इस्तहार प्रकाशित नहीं कराया गया और न ही विभाग के वरिष्ठ कार्यालयों को इसकी सूचना दी गई। जिससे यह साबित होता है कि इस घटनाक्रम को लेकर प्रबंधन गंभीर नहीं रहा।

– अंकसूची सत्यापन को रिकार्ड में नहीं लिया
कालेज प्रबंधन की भूमिका लगातार संदेह के घेरे में आ रही है। सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में माडल साइंस कालेज से कथित तौर पर जारी होने वाली अंकसूचियों के जरिए लोग नौकरियां कर रहे हैं। इन अंकसूचियों का सत्यापन कराने के लिए कालेज के पास आए पत्रों के आधार पर सत्यापित भी कर दिया गया है। इस सत्यापन के दस्तावेजों को कालेज के आधिकारिक रिकार्ड में नहीं लिया गया है। जिन संस्थानों से सत्यापन के लिए पत्र आया, उन्हें यह बता दिया गया कि कालेज से ही अंकसूची जारी हुई है। रिकार्ड में नहीं लेने का कालेज प्रबंधन अलग ही तर्क दे रहा है। कहा जा रहा है कि इसके लिए आवक-जावक में दर्ज किया जाना आवश्यक नहीं होता।

– कालेज से फर्जी अंकसूची के जरिए बना था रोजगार अधिकारी
हाल ही में सतना में जिला रोजगार अधिकारी के पद पर पदस्थ अमित सिंह की गिरफ्तारी के बाद यह मामला सामने आया है। उसने पुलिस को बताया है कि वर्ष २००४ में उसने माडल साइंस कालेज के कर्मचारियों से मिलकर फर्जी अंकसूची बनवाई थी। जिसमें कुछ प्रोफेसर भी शामिल थे। पुलिस ने कालेज से उसकी अंकसूची सत्यापित कराई तो पता चला कि उसका नाम न तो कालेज के प्रवेश सूची में है और न ही किसी तरह की अन्य गतिविधियों में उसका नाम दर्ज है। पुलिस को आरोपी ने कई अहम जानकारियां दी हैं, जिससे कालेज के कई अधिकारी, कर्मचारियों का नाम बताया गया है। आरोपी को तो कोर्ट ने जेल भेज दिया है लेकिन इधर कालेज में लंबे समय से फर्जी अंकसूची के गोरखधंधे में शामिल कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।


सीधी बात
डॉ. पंकज श्रीवास्तव, प्राचार्य माडल साइंस

सवाल- आपके कालेज से फर्जी अंकसूची जारी होने का आरोप है, कितनी सत्यता है ?
जवाब- कालेज से नियमानुसार ही अंकसूची जारी होती है। यह भी सही है कि कुछ दिन पहले सतना के रोजगार अधिकारी की अंकसूची सत्यापन पुलिस ने कराया था। जांच में पता चला कि उक्त व्यक्ति की जो अंकसूची है वह कालेज से जारी नहीं हुई है। कालेज के नाम का उपयोग किया गया है।
सवाल- अंकसूची का प्रोफार्मा भी गायब हो चुका है, प्रबंधन ने क्या कदम उठाए ?
जवाब- यह सही है कि 100-100 के तीन बंडल अंकसूची के और चार सील चोरी हुए थे। उस दौरान रिपोर्ट भी थाने में लिखाई गई थी। यह पुलिस के जांच का विषय है।
सवाल- जो अंकसूची चोरी होने की बात कही जा रही है, इसके फर्जी उपयोग की कितनी आंशका है ?
जवाब- फर्जी उपयोग की पूरी आशंका है, सील भी चोरी हो गई है। उसमें कोई भी अपना नाम और पसंद के अनुसार अंक डालकर मार्कसीट तैयार कर सकता है।
सवाल- फर्जी उपयोग का कोई मामला सामने आया है क्या ?
जवाब- रोजगार अधिकारी के अलावा अन्य फर्जी अंकसूची बनाने का मामला हमारे संज्ञान में नहीं है। हमसे यदि सत्यापन कराया जाएगा तो जो दस्तावेज में होगा वही बताएंगे।

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