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रीवा

मॉडल सडक़ पर धूल की गुबार, व्यापारियों का कारोबार हो रहा कबाड़

शहर में रतहरा-चोरहटा तक निर्माणाधीन सडक़ पर धूल पर नियंत्रण नहीं, बीमार हो रहे राहगीर, व्यापारी और बुजुर्ग व बच्चे

रीवाFeb 02, 2021 / 09:53 am

Rajesh Patel

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rajesh patel IMAGE CREDIT: patrika
रीवा. शहर में रतहरा से चोरहटा तक मॉडल सडक़ का निर्माण चल रहा है। निर्माणाधीन सडक़ पर पानी का छिडक़ाव कभी कभार होता है। छिडक़ाव के कुछ देर बाद ही सडक़ पर धूल उडऩे लगती है। बीच शहर धूल के गुबार से न केवल राहगीर परेशान हो रहे हैं। बल्कि सडक़ के दोनों छोर में व्यापारियों का कारोबार चौपट है। दिनभर धूल उडऩे से दुकानों पर रखी सामग्री पर एक लेयर की मोटी परत जम जाती है।
प्लास्टिक लगा रखा है ताकि धूल न आए
शहर में रतहरा से नया समान तिराहा, नया बसस्टैंड, बरा, उर्रहट से वाया सिरमौर, कालेज, ढेकहा चौराहा होते हुए रेलवे मोड़ से चोरहटा तक दुकानदारों ने प्लास्टिक लगा रखा है। ताकि धूल नहीं आए। बरा में दुकान की शॉप चलाने वाले दिनेश, राहुल, सुमन केशरी आदि कहते हैं कि धूल से जीना मुश्किल हो गया है। कारोबार तो पूरी तरह प्रभावित है। धूल उडऩे से सबसे ज्यादा बुजुर्ग परेशान हैं। कई बार तो सडक़ पर टायर से टकराकर बिखरी गिट्टी उछलती है जो दुकान में आ जाती है। दुकान के सामने ग्राहक खड़े ही नहीं हो रहे हैं।
धूल पर नियंत्रण नहीं
राहगीर सुरेन्द्र तिवारी कहते हैं कि सडक़ निर्माण कार्य के दौरान धूल पर विभाग की ओर से नियंत्रण नहीं किया जा रहा है। सडक़ पर नए बस स्टैंड से लेकर दो-दो किमी एरिया में रतहरा से लेकर चोरहटा तक हिस्से में कई होटलें, इलेक्ट्रानिक्स की दुकानें, फल और सब्जी, किराना, कपड़ा, व्यसायी हैं। धूल उडऩे से सभी दुकानों का माल खराब होता है। इससे उन्हें आर्थिक हानि हो रही है। होटलों में खाद्य पदार्थ को ढक नहीं रखा जा सकता है। प्लास्टिक लगाने के बाद भी धूल नहीं रुक रही है।
धूल के गुबार से ये परेशानियां बढ़ी
धूल के बढ़ रहे एलर्जी के मरीज सडक़ों पर उठने वाली धूल से लोग आधिक एलर्जी का शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा आंख में जलन, खुजली व लालीमापन आना भ्ज्ञी आम बात हो गई है। कई लोग धूल के कण जाने पर आंख को रगड़ देते हैं।
वर्जन…
धूल के कारण पूरा कारोबार प्रभावित है। प्लास्टिक आदि के इंतजाम के बाद भी व्यापार चौपट है। सुबह से लेकर शाम तक पानी का छिडक़ाव करना पड़ता है। धूल के कारण ग्राहक को दिक्कत होती है। सडक़ निर्माण करने वाले कभी-कभार पानी का छिडक़ाव करते हैं। दिनभर धूल का गुबार उड़ता है। दुकान के कर्मचारी धूल के गुबार से आने को तैयार नहीं होते।
अश्वनी केसरवानी, होटल कारोबारी, उर्रहट
धूल के गुबार पर बोले कारोबारी, राहगीर
-कोरोना काल में आठ माह तक दुकानें बंद रही। धूल से पूरा व्यापार चौपट है। पूरा एक साल हो गए सुबह आते हैं और शाम को चले जाते हैं। धूल के कारण दुकान पर कोई ग्राहक नहीं खड़ा होता है। पांच माह से दुकान का किराया तक नहीं दिया हूं। बिजली का बिल भी बाकी है। प्लास्टिक लगाया हूं फिर भी दिनभर पानी का छिडक़ाव करना पड़ता है फिर भी राहत नहीं है। बीमारी जैसी स्थित बन गई।
प्रभात कुमार मिश्रा, कारोबारी, बरा
वर्जन…
सडक़ पर धूल का गुबार, जाम से चलना मुश्किल होता है। घर से निकलने के बाद ड्यूटी पर पहुंचने तक पूरा कपड़ा खराब हो जाता है। जाम के कारण आए दिन ड्यूटी पर देर हो जाती है। एक साल से यह स्थित बनी हुई है। निजी संस्थान में नौकरी करता हूं। धूल के कारण बहुत मुश्किल हो रही है। धूल से आंख लाल पड़ जाती है। एलर्जी का शिकार हो गया हूं।
अशोक सिंह बघेल, राहगीर

एक्पार्ट व्यू
सेहत से खिलवाड़
डॉ वीपी सिंह का कहना है कि सडक़ों पर उडऩे वाली धूल के कारण अस्थमा के मरीज और जिनका एलर्जी है, वो तो सीधे तौर पर परेशान होते ही हैं। उनके साथ ही एक सामान्य व्यक्ति भी जो रोज-रोज धूल की वजह से बीमार पड़ सकता है। वहीं, धूल मिट्टी की वजह से आंखों में एलर्जी व इंफेक्शन हो सकता है। इस तरह के मरीजों की संख्या ओपीडी में बढ़ रही है।

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