हाल ही में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने मिनी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए अधिकारियों की नियुक्ति भी की है। इसमें रीवा का नाम शामिल नहीं है। विंध्य के तीन शहरों को इसमें शामिल किया गया है। मैहर, अमरकंटक और चित्रकूट में कार्ययोजना तैयार करने के लिए उपयंत्रियों की पदस्थापना की गई है। रीवा का नाम नहीं होने से इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि जिस तरह से स्मार्ट सिटी बनाने की बात कही गई थी उसी तरह मिनी स्मार्ट सिटी का भी हाल हो रहा है।
कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री सीधी दौरे पर आए तो उसे भी मिनी स्मार्ट सिटी बनाने का आश्वासन दे गए। इसी तरह की घोषणा सिंगरौली में भी की गई। मुख्यमंत्री के आश्वासनों से लग रहा था कि जल्द ही इस मामले में काम तेज होगा। अब एक बार फिर प्रक्रिया शुरू की गई है लेकिन रीवा को शामिल नहीं किए जाने से माना जा रहा है कि यह भी छूट सकता है।
मिनी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पूर्व में नगर निगम के संसाधनों की जानकारी मांगी गई थी। इसके बाद से न तो शासन की ओर से कोई पत्राचार किया गया और न ही नगर निगम प्रशासन ने कोई मार्गदर्शन मांगा। अमृत योजना के तहत मिलने मिले प्रोजेक्ट और मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास से शहर के भीतर कार्य कराए जा रहे हैं। हालांकि बीते कुछ वर्षों में रीवा का तेजी से विकास हुआ है, इसमें स्पेशल पैकेज मिलता तो और बेहतर बनाया जा सकता था।
शहर के भीतर जो भी विकास कार्य हुए हैं वह स्पेशल प्रोजेक्ट के तहत ही हुए हैं। नगर निगम प्रशासन तो सड़क और नालियों के निर्माण तक ही सीमित रह गया है। अब भी शहर के भीतर बड़ा हिस्सा ऐसा है जहां पर सड़कें और नालियों की जरूरत है। पेयजल, स्वच्छता, अधोसंरचना के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के अलग-अलग प्रोजेक्ट मिले हैं। कुछ कार्य तो पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत हो रहे हैं।
नगर निगम के आयुक्त आरपी सिंह को मिनी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति की जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि रीवा के लिए स्पेशल इसमें क्या मिलेगा यह बता पाना मुश्किल है।